Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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है, वही गंध का है, वही रस का है, वही रूप का है इसलिए किसी परमाणु में गंधगुण, कम हो, (निकाल लिया जाय) किसी परमाणु में गंधगुण और रसगुण कम हो, किसी परमाणु में गंधगुण, रसगुण और रूपगुण कम हो, तो उस गुण से अभिन्न प्रदेशी परमाणु ही विनष्ट हो जायेगा। इसलिए किसी भी गुण की न्यूनता युक्त (उचित) नहीं है। इसलिए पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु रूप चार धातुओं का, परिणाम के कारण एक ही परमाणु कारण है क्योंकि विचित्र ऐसा परमाणु का परिणाम गुण कहीं किसी गुण की व्यक्ताव्यक्त द्वारा विचित्र परिणति को धारण करता है। ___ और जिस प्रकार परमाणु में परिणाम के कारण अव्यक्त गंधादि गुण हैं ऐसा ज्ञात होता है उसी प्रकार शब्द भी अव्यक्त है ऐसा नहीं जाना जा सकता, क्योंकि एक-प्रदेशी परमाणु को अनेकप्रदेशात्मक शब्द के साथ एकत्व होने से विरोध है। ___ अनादिकर्मों के उदय के वश से जो उन जीवों ने पृथ्वी, जल, अग्नि तथा वायु नाम के शरीर ग्रहण कर रक्खे हैं उन शरीरों के तथा उन जीवों ने ग्रहण किये हुए पृथ्वी, जल, अग्नि व वायुकाय के स्कंधो के उपादान कारण परमाणु हैं इससे ये परमाणु चार धातुओं के कारण हैं।
णिच्चो णाणवकासो ण सावकासो पेदसदो भेदा।
खंधाणं पि य कत्ता पविहत्ता कालसंक्खाणं॥(80) जो परमाणु है वह वास्तव में एक प्रदेश द्वारा जो कि रूपादिगुण सामान्यवाला है उसके द्वारा सदैव अविनाशी होने से नित्य है, वह वास्तव में एक प्रदेश द्वारा उससे (प्रदेश से) अभिन्न अस्तित्व वाले स्पर्शादि गुणों को अवकाश देता है इसलिए अनवकाश नहीं है, वह वास्तव में एक प्रदेश द्वारा (उसमें) द्वि-आदि प्रदेशों का अभाव होने से, स्वयं ही आदि, स्वयं ही मध्य और स्वयं ही अन्त होने के कारण (अर्थात् निरंश होने के कारण) सावकाश नहीं है, वह वास्तव में एक प्रदेश द्वारा स्कन्धों के भेद का निमित्त होने से स्कन्धों का भेदन करने वाला है, वह वास्तव में एक प्रदेश द्वारा स्कन्ध के संघात का निमित्त होने से स्कन्धों का भेद न करने वाला है, वह वास्तव में एक
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