Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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जाता है कि आहारक से तैजस और तैजस से कार्मण शरीर के प्रदेश अनन्तगुणे हैं। इसका गुणाकार अभव्य जीवों से अनन्तगुणा और सिद्धों के अनन्तवें भाग
अनंतगुणत्व होने से दोनों में तुल्य प्रदेश हैं- ऐसा भी नहीं है क्योंकि अनंत के भी अनंत विकल्प होते हैं। अनंतगुणा होने से तैजस और कार्मण में तुल्य प्रदेश हैं ऐसा भी कहना उचित नहीं है क्योंकि असंख्यात के असंख्यात विकल्प के समान अनन्त के भी अनंत विकल्प होते हैं।
___ आहारक से दोनों अनन्त गुणे हैं, ऐसा नहीं मानना चाहिए क्योंकि परंपरं" इस सूत्र का अभिसम्बन्ध है। ‘परं-परं' का सम्बन्ध होने से तैजस से कार्मण में अनंत गुणे प्रदेश जाने जाते हैं। तैजस और कार्मण शरीर की विशेषता
अप्रतीपाते। (40) The electric and karmic bodies are unpreventible in their passage i,e, they can penetrate and permeate upto the end of the universe .
प्रतीघांतरहित है। तैजस एवं कार्मण शरीर सर्वत्र अप्रतिघात (प्रतिघात से रहित) है।
. मूर्तिमान् पदार्थ के द्वारा व्याघात को प्रतिघात कहते हैं। मूर्तिमान पदार्थों . . का दूसरे मूर्तिमान् पदार्थ से व्याघात रूकावट या टक्कर होती है, उसे प्रतिघात कहते हैं।
उस प्रतिघात का अभाव है, सूक्ष्मपरिणमन होने से लोहपिण्ड में अनुप्रविष्ट अग्नि के समान जैसे अग्नि सूक्ष्म परिणमन के कारण लोहे के पिण्ड में घुस जाती है उसी प्रकार तैजस कार्मण शरीर का वज्रपटलादि में भी व्याघात नहीं है अर्थात् इन दोनों शरीरों की रूकावट या टकराना किसी पदार्थ से नहीं होता। इसलिये इन दोनों शरीरों को अप्रतीघात कहते हैं। अप्रतिघात होने से ये दोनों सब.जगह प्रवेश कर जाते हैं।
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