Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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दक्षिण के समान उत्तर में हैं।
जिस प्रकार दक्षिण के क्षेत्रों का व्याख्यान किया उसी प्रकार उत्तर के क्षेत्रों का जानना चाहिए। हैरण्यवत् क्षेत्रों के मनुष्यों की सब बातें हैमवत के मनुष्यों के समान हैं, रम्यक् क्षेत्र के मनुष्यों की सब बातें हरिवर्ष क्षेत्र के मनुष्यों के समान हैं और देवकुरु क्षेत्र के मनुष्यों की सब बातें उत्तरकुरु क्षेत्र के मनुष्यों के समान हैं।
विदेह क्षेत्र में आयु की व्यवस्था
विदेहेषु संख्येयकालाः। (31) In Videha (men have anage of) numberable years i.e. the highest is I crore qe purvas and the least is 377 Antara Muharta. विदेहों में संख्यात वर्ष की आयु वाले प्राणी हैं।
सब विदेहों में संख्यात वर्ष की आयु वाले मनुष्य होते हैं। वहाँ सुषमादुःषमा काल के अन्त के समान काल सदा अवस्थित है। मनुष्यों के शरीर की उत्कृष्ट ऊँचाई पाँच सौ धनुष होती है, वे प्रतिदिन आहार करते हैं। उनकी उत्कृष्ट आय एक पूर्वकोटि वर्ष प्रमाण और जघन्य आयु अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है।
पुव्वस्स दु परिमाणं सदर खलु कोडिसदसहस्साई।
छप्पण्णं च सहस्सा बोद्धव्वा वासकोडीणं॥ एक पूर्व कोटी का प्रमाण सत्तर लाख करोड़ और छप्पन हजार करोड़ वर्ष जानना चाहिए। अर्थात् पूर्व कोटी - 70,56000,000000 = 70 लाख, 56 हजार करोड़।
भरत क्षेत्र का अन्य प्रकार से विस्तार
भरतस्य विषकम्भो जम्बूद्वीपस्य नवतिशतभागः। (32) The breadth of Bharata Ksetra (is 190th part of the breadth of Jambudvipa (= 100000/190 = 526 6/19 Yojanas.) भरत क्षेत्र का विस्तार जम्बूद्वीप का एक सौ नब्बेवाँ भाग है।
एक लाख योजन प्रमाण जम्बूद्वीप के विस्तार के एक सौ नब्बेभाग
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