Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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व्यन्तर देवों के आठ भेद व्यन्तराः किन्नरकिंपुरुषमहोरगगन्धर्वयक्षराक्षसभूतपिशाचाः। (11)
The (classes of) Peripatetics (are):
1. Kinnara.
2. Kimpurusha.
3. Mahoraga. 4. Gandharva. 5. Yaksha. 6. Rakshasa. 7. Bhuta.
8. Pishacha. व्यन्तर देव आठ प्रकार के है- किन्नर, किम्पुरुष, महोरग, गन्धर्व, यक्ष राक्षस, भूत और पिशाच। _ विविध देशों में निवास करनेवाले होने से व्यन्तर कहलाते हैं। विविध देशान्तरों में जिनका निवास है, वें व्यन्तर हैं। यह इनका सार्थक नाम है, किन्नर आदि आठों विकल्पों की सामान्य संज्ञा व्यन्तर है।
ये देव पवित्र वैक्रियिक शरीरधारी होते हैं। ये कभी अशुचि औदारिक शरीरवाले मनुष्य आदि की कामना नहीं करते हैं और न मांस-मदिरादि के खान-पान में ही प्रवृत्त होते हैं। लोक में जो व्यन्तरों की मांसादि ग्रहण की प्रवृत्ति सुनी जाती है, वह केवल उनकी क्रीड़ा मात्र है। उनके तो मानसिक
आहार होता है। प्रश्न:- उन व्यन्तरों के रहने के स्थान कहाँ हैं ? उत्तर:- इस जम्बूद्वीप के तिरछे दक्षिण दिशा में असंख्यात द्वीप-समुद्रों के बाद नीचे खरपृथ्वी के ऊपरी भाग में दक्षिणाधिपति किन्नरेन्द्र का निवास है। वहाँ उसके असंख्यात लाख नगर हैं। इसके चार हजार सामानिक देव, तीन परिषद् (सभा), सात प्रकार की सेना, चार अग्रमहिषियाँ और सोलह हजार आत्मरक्षक देव हैं। उत्तराधिपति किन्नरेन्द्र किम्पुरुष का भी उतना ही वैभव और परिवार
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