Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
View full book text
________________
तिर्यंचों की स्थिति
तिर्यग्योनिजानां च। (39) The sub-human beings also have the same range of age: तिर्यंचों की स्थिति भी उतनी ही हैं।
तिर्यंचों की उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्य और जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त है। तत्वार्थ सार में आचार्य अमृतचन्द्र सूरि ने विभिन्न तिर्यंचों तथा मनुष्यों की आयु का वर्णन निम्न प्रकार से किया है
द्वाविंशतिर्भुवां सप्त पयसां दश शाखिनाम्। ' नभस्वतां पुनस्त्रीणि वीनां द्वासप्ततिस्तथा।
(117) अध्याय 2 (पृ.65) उरगाणां द्विसंयुक्ता चत्वारिंशत्प्रकर्षतः। आयुर्वर्षसहस्त्राणि सर्वेषां परिभाषितम्॥(118) दिनान्येकोनपञ्चाशत्त्यक्षाणां त्रीणि तेजसः। षण्मासाश्चतुरक्षाणां भवत्यायुः , प्रकर्षतः॥(119) नवायुः परिसर्पाणां पूर्वाङ्गानि प्रकर्षतः। द्वयक्षाणां द्वादशाब्दानि जीवितं स्यात्प्रकर्षतः॥(120) असंज्ञिनस्तथा मत्स्याः कर्मभूजाश्चतुष्पदाः। मनुष्याश्चैव जीवन्ति पूर्वकोटिं' प्रकर्षतः॥(121) एकं द्वे त्रीणि पल्यानि नृ-तिरश्चां यथाक्रमम्। जघन्यमध्यमोत्कृष्टभोगभूमिषु
जीवितम्। कुभोगभूमिजानां तु पल्यमेकं तु जीवितम् ॥(122) . पृथ्वीकायिक जीवों की उत्कृष्ट आयु बाईस हजार वर्ष, जलकायिक जीवों की सात हजार वर्ष, वनस्पतिकायिक जीवों की दश हजार वर्ष, वायुकायिक जीवों की तीन हजार वर्ष, पक्षियों की बहत्तर हजार वर्ष, सर्पो की ब्यालीस, हजार वर्ष, तीन इन्द्रिय जीवों की उनचास दिन, अग्निकायिक की तीन दिन,. चौइन्द्रिय जीवों की छह माह, छाती से सरकने वाले अजगर आदि की नौ पूर्वाङ्ग, दो इन्द्रियों की बारह वर्ष, अंसज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यंच, मच्छ, कर्मभूमिज
224
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org