Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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उत्तर
. प्रश्न उत्तर
-नील वर्ण के योग से इसे नील कहते हैं। नील वर्ण का होने से इस पर्वत को नील कहते हैं। जैसे-कृष्णवर्ण का होने से वासुदेव
"कृष्ण" नाम से पुकारा जाता है। -नील पर्वत कहाँ पर है ? - विदेह और रम्यकक्षेत्र के बीच में नीलपर्वत है। यह नील नामक कुलाचल विदेह और रम्यक् क्षेत्र की सीमा पर स्थित है वा उनका विभाग करता है। इसकी ऊँचाई, आयाम, विस्तार आदि निषध पर्वत के समान है। - पंचम कुलाचल का नाम रूक्मी क्यों पड़ा है ? - रूक्म (सुर्वण) के सद्भाव से इसको रूक्मी कहते हैं। रूक्म जिसके है वह रूक्मी कहलाता है। दूसरे पर्वत भी सुर्वणमय हैं-इसलिये इसका रूक्मी यह नाम रूढ़ संज्ञा है-हाथी को “करी" (सूंड) कहना यह रूढ़ि है। क्योंकि “कर" (हाथ) तो मनुष्य के भी होते
प्रश्न उत्तर
प्रश्न उत्तर
- प्रश्न उत्तर
- इस पर्वत का स्थान कहाँ है? - यह रम्यक् और हैरण्यवत क्षेत्र का विभाजक है। यह रूक्मी कुलाचल रम्यक् और हैरण्यवत क्षेत्र का विभाजक है। इसकी ऊँचाई, लम्बाई,
आदि का सर्व वर्णन महाहिमवान् कुलाचल के समान है। - छठे कुलाचल का नाम शिखरी क्यों है ? - शिखर का सद्भाव होने से इसकी शिखरी संज्ञा है। शिखर कूट इसके है अत: इसका शिखरी संज्ञा सार्थक है। शिखरी के सिवाय अन्य पर्वतों पर भी शिखर है परन्तु इसकी शिखरी संज्ञा रूढ़िवशात् है जैसे मयूर का नाम शिखण्डी रूढ़ है। - शिखरी पर्वत का सन्निवेश कहाँ है ? - हैरण्यवत और ऐरावत के मध्य सेतुबन्ध के समान शिखरी पर्वत
है। यह शिखरी पर्वत हैरण्यवत् और ऐरावत् क्षेत्र के मध्य में स्थित है। जैसे समुद्र के मध्य में सेतुबन्ध (पुल) होता है। इस पर्वत की ऊँचाई, आयाम, विस्तार आदि संर्व क्षुद्र हिमवान पर्वत के
प्रश्न उत्तर
तुल्य है।
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