Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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तैजसमपि । (48) Even the electric body can be product of special austerities. This takes place in two ways(1) शुभ तैजस Beneficent electric body, e.g. a saint with supernatural powers sees famine or plague etc. in a Country and is moved to compassion. His austerities enable his electric body to overflow itself and issuing out of his right shoulder go and to remove the causes of famine, plague, etc. and then came back and be reabsorbed in the same way in which it went out. . (2) अशुभ तैजस Maleficent electric body. तैजस शरीर भी लब्धि से प्राप्त होता है।
. तैजस शरीर भी लब्धि प्रत्यय अर्थात् ऋद्धि निमित्तक होता है लब्धि प्रत्यय तैजस के दो भेद है (1) अशुभ तैजस (2) शुभ तैजस। (1) अशुभ तैजस-: अपने मन को अनिष्ट (बुरा) उत्पन्न करने वाले किसी कारण को देखकर उत्पन्न हुआ है क्रोध जिसके ऐसा जो संयम का निधान महामुनि उसके वाम (बायें) कंधे से सिंदूर के ढेर की-सी कान्ति-वाला, बारह योजन लम्बा, सूच्यंगुल के संख्येय भाग प्रमाण मूल विस्तार और नव योजन के अग्र विस्तार को धारण करने वाला काहल (विलाब) के आकार का धारक पुरुष निकल करके बाम प्रदक्षिणा देकर मुनि के हृदय में स्थित जो विरूद्ध पदार्थ है उसको भस्म करके और उसी मुनि के साथ आप भी भस्म हो जाय; जैसे द्वीपायन मुनि के शरीर से पुतला निकलके द्वारिका को भस्म कर उसी ने द्वीपायन मुनि को भस्म किया और वह पुतला आप भी भस्म हो गया उसी की तरह जो हो सो अशुभ तैजस-समुद्घात है। (2) शुभ तैजस -: जगत् को रोग अथवा दुर्भिक्ष आदि से पीड़ित देखकर उत्पन्न हुई है कृपा जिसके ऐसा जो परमसंयमनिधान महाऋषि उसके मूल शरीर को नहीं त्यागकर पूर्वोक्त देह के प्रमाण को धारण करने वाला अच्छी सौम्य आकृति का धारक पुरुष दक्षिण स्कंध से निकलकर, दक्षिण प्रदक्षिणा कर
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