Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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भावेन्द्रिय और लब्धि क लक्षण
लब्धिस्तथयोपयोगश्च लब्धिर्बोधरोधस्य
सा
लब्धि और उपयोग को भावेन्द्रिय कहा है। ज्ञानावरणकर्म का जो क्षमोपशम है वह लब्धि कहलाती है।
उपयोग का लक्षण और उसके भेद
यः
भावेन्द्रियमुदाहृतम् । क्षयोपशमोभवेत् ॥ 44 ( तत्वार्थसार अ. 2 पृ.48)
जिसके सन्निधान से आत्मा द्रव्येन्द्रिय की रचना के प्रति व्यापृत होता है ऐसा ज्ञानावरण कर्म के क्षयोपशम से उत्पन्न होने वाला आत्मा का परिणाम उपयोग कहलाता है। ज्ञान और दर्शन के भेद से मूल में उपयोग दो प्रकार हैं । फिर ज्ञानोपयोग के आठ और दर्शनोपयोग के चार भेद मिलाकर बारह प्रकार का होता है।
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स द्रव्येन्द्रियनिर्वृत्तिं प्रति व्याप्रियते यतः । कर्मणो ज्ञानरोध क्षमोपशमहेतुक: ॥ ( 45 ) आत्मनः परिणामो य उपयोगः स कथ्यते ।
ज्ञानदर्शनभेदेन द्विधा द्वादशधा पुन: ।। (46)
THAT Organ of taste i.e. tongue
घ्राण Organ of smell i.e. nose.
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The Senses are
स्पर्शन Qgran of touch, i.e. the whole body.
पञ्च इन्द्रियों के नाम स्पर्शरसनाघ्राणचक्षुः श्रोत्राणि । ( 19 )
चक्षु Organ of sight ie eyes. श्रोत Organ of hearing i.e. ears.
स्पर्शन, रसना, घ्राण चक्षु और श्रोत ये इन्द्रियाँ हैं।
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