Book Title: Shekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Author(s): Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publisher: Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
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स्मृतियों के वातायन से
- सफलता की ऊँचाइयाँ मनुष्य अपनी मेहनत लगन तथा परिश्रम से सफलता के चरम शिखर पर पहुँच जाता है। सफलता की ऊँचाइयों पर पहुँचने केलिये तन-मन-धन से सम्पूर्ण निष्ठा के साथ कार्य करने की आवश्यकता होती है। ! इसीका एक उदाहरण मेरे बड़े भाई सा डॉ. शेखरचन्द्र जैन हैं। उन्होंने अपने अथक परिश्रम से सफलता के चरम
शिखर पर देश विदेश में अपनी कीर्ति का झंडा फहराया है। ___सामान्य परिवार में जन्मे हमारे भाई सा. प्रारम्भ से ही अपनी जिम्मेदारियों में जकड़े हुये थे। इनके कंधों पर
अपने मातापिता के अतिरिक्त भाई बहनों की शिक्षा एवं भरण पोषण का उत्तरदायित्व था। एक ओर स्वयं अध्ययन करना अपने परिवार की देखभाल करना तथा दूसरी ओर अत्यधिक परिश्रम करके पारिवारिक खर्चों
को चलाना भी इनकी जिम्मेदारी थी। जिसको भैया ने भली भाँति निभाया। अपनी सुख दुःख की परवाह किये | बिना परिवार की उन्नति के लिये उन्होने कठिन से कठिन परिश्रम करके, परिवार को एवं सभी भाई बहन को ! शिक्षा दिलाई तथा शिक्षा के उपरांत परिवार के सभी सदस्यों की यथा अनुकूल उनके कारोबार में सम्पूर्ण सहयोग प्रदान करते हुये चरम सीमा तक सभी सदस्यों को पहुंचाया।
वर्तमान में चेरीटेबल संस्था द्वारा निर्धनों निःशुल्क औषधालय भी चलाया जा रहा है। जिसमें जनसाधारण एवं गरीब जनता के माध्यम से उनकी कीर्ति सर्वत्र फैल रही है। ___ जैनधर्म के आचार्यों की एवं साध्वी ज्ञानमती माताजी का आपको पूर्ण आशीर्वाद है। एवं साधु संतों की सेवा
में अपना मन लगाये रहते है। प्रत्येक धर्म कार्यों में भी तन-मन-धन से पूर्ण सहयोग प्रदान करते हैं। ___ अपने बड़े भाई की हम जितनी भी प्रशंसा करें वो कम है। मैं तो अल्पज्ञ हूँ इतना ही लिख सकती हूँ- उनके रहते हमें पिता की कमी नहीं खली उनका स्नेह पिता के समान ही है। हम तो भगवान से इतनी ही प्रार्थना करते हैं कि उनकी कीर्ति इसी प्रकार फैलती रहे। मुझे बड़ी प्रसन्नता होती है कि मैं उनकी बहन हूँ।
भैया की छोटी बहन पुष्मा (बबीना)
. हमारे समधी डॉ. शेखरचंद जैन
डॉ. शेखरचन्द्रजी जैन अत्यंत- मितव्ययी, व्यवसायिक, व्यवहार कुशल और गुणग्राही व्यक्ति हैं।
मेरी नजर में उनके जीवन की सबसे बड़ी सफलता अपने छोटे सुपुत्र डॉ. अशेष जैन को एम.डी. (मेडिसिन) होने के बाद सरकारी नौकरी में न भेजकर उनके लिए प्रायवेट दवाखाना एवं नर्सिंग होम खुलवाकर, उसके सफल
और लाभदायक संचालन और उसके विकास में सहयोग देना है। बड़े प्रोजेक्ट | निवेश को प्लान करके लाभदायक तरीके से सफल करना अत्यंत दुरूह कार्य है। ईश्वर उन्हें भविष्य में भी उन्नति और यश प्रदान करे। शुभकामनाओं सहित।
रतनचंद जैन (दुर्ग)
- हमारे समधी डॉ. शेखरचंद जैन बहुयामी व्यक्तित्व के धनी, बहुमुखी प्रतिभावान हमारे समधी, माननीय डॉ. शेखरचंदजी जैन, वाणी भूषण, प्रवचनमणी आदि अनेक उपाधियाँ प्राप्त कुशल प्रवचनकार, निडर वक्ता हैं।
अनेक सम्मानों से विभूषित, आपके द्वारा स्थापित संस्था “समन्वय ध्यान साधना केन्द्र" की तीन भाषाओं !