Book Title: Shekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Author(s): Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publisher: Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
View full book text
________________
Recene
1101
करता है। उनकी कविताएं मृदुता की निर्झरिणी है। उनके शोधालेख शास्त्रोचित उद्धरणों तथा श्रमण संस्कृति के विचित्र स्तम्भों की कीर्ति का समावेश करते हैं। अपने गृहस्थिक, सामाजिक एवं शैक्षिक उत्तरदायित्वों का निर्वाहन जिस सूझ बूझ, लगन, निष्ठा, दूरदर्शिता, अदम्य साहस तथा उत्साह के साथ डॉ. साहब ने किया वह श्लाघनीय एवं अनुकरणीय है। ___ मुझे अनेक संगोष्ठियों एवं साहित्यिक अवसरों पर एक साथ रहने का अवसर मिला हैं। निश्चय ही ऐसे
अवसरों पर उनकी पत्रकारिता, साहित्यिक तेजस्विता एवं स्पष्ट वादिताने मुझे बेहद प्रभावित किया है उनका व्यक्तित्व एक तेजस्वी पत्रकार एवं मनस्वी साहित्यकार का समुचित व्यक्तित्व है।
स्वयं अपने पथ का सृजन करनेवाले कर्मयोगी डॉ. साहब की विनोदप्रियता एवं प्रत्युत्पन्नमति उनके व्यक्तित्व की एक निराली ही पहचान है। गम्भीर से गम्भीर विषय को हास्यपुट की ध्वनियों से अनुगूंजित कर देना उनकी अपनी विशेषता है। वाणी और अर्थ का सुमधुर संगम अनेक बार मुझे पुलकित कर गया और वे लोकप्रिय अध्यापक, कुशल कवि, प्रतिभाशाली वक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, साहित्यसेवी, संपादक एवं कुशल संचालन से भावमय भाषा से जनता को आबद्ध करने में पूर्णतः समर्थ हैं। विदेशों में भी मैंने उनके प्रभाव को देखा है 'तीर्थंकर वाणी' के सम्पादकीय अग्रलेख में वर्तमान की समस्याओं का प्रकटीकरण एवं समाधान जिस अभयभाव से करते है उसकी पत्रकारिता जगत में द्वितीयता नहीं है। उनके विचारों में दृढ़ता होती है, ज्ञानालोक से दीप्त उनके सुचिन्तित विचार पाठकों को नई दृष्टि देते हैं। उनकी जैसी अर्थ गर्भ शब्दावली सम्पादन जगत में प्रायोविरल है। ____ अभिनन्दन ग्रंथ का प्रकाशन मात्र डॉ. साहब अभिनन्दनीय व्यक्तित्व का एक छोटा सा उपक्रम है। वे स्वर्णिम कविष्ट के तट की ओर ले जाने वाले समर्थ मांझी हैं। आपका अभिनन्दन समारोह हमारे लिए उत्सव है, महोत्सव है। हम डॉ. राहब के यशस्वी भविष्य स्वस्थ दीर्घायुष्य की मंगलकामना करते हैं। डॉ. साहब के व्यक्तित्व की सौरभ चतुर्दिक इसी प्रकार फैलती रहे उनके ज्ञान का अजम्न निर्झर इसी प्रकार झरता रहे और सबकी प्यास । बुझाता रहे। अनतंशः मंगलकामनाओं सहित
डॉ. नीलम जैन (गुडगाँव) संपादिका- 'जैन महिला दर्श'
. तलहटी से शिखर तक शिखर की उच्च श्रृंखला पर पहुँचना अत्यन्त कठिन है परन्तु इरादे नेक हों, होसले बुलन्द हों तो हर कँटीले रास्ते भी फूलों की चादर बन जाते हैं, मन में संकल्प हो कि- 'हम होंगे कामयाब एक दिन....' ऐसे संकल्प को लगातार डॉ. शेखरचंद्र जैनजीने अपना लक्ष्य बनाया उन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए समर्पित कर दिया हर क्षेत्र में अपना योगदान दिया।
उठ रहा मस्तक में तूफान, न तन का ध्यान, न मन का ध्यान
अधर पर ले फिर भी मुस्कान, गा रहा वो नव युग के गान मेरा, इस प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तित्व का परिचय रोटरी में हुआ, उनका सालस, सरल और सहज स्वभाव । निरन्तर स्मरण में रहता है, रोटरी में अपने मिलनसार स्वभाव के कारण अत्यंत लोकप्रिय रहे हैं।