Book Title: Shekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Author(s): Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publisher: Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
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दी के लिए जो फासीमाकाशा
291 गौरवान्वित होते रहेंगे। ___ अमर जैन शहीद साबूलाल वैशाखिया
वीर साबूलाल जैन का जन्म 1923 ई. में गढ़ाकोटा (सागर) म.प्र. में हुआ। 22 अगस्त 1942 के ! दिन गढ़ा कोटा में एक वृहत सभा का आयोजन किया गया और सर्वसम्मति से तय हुआ कि अंग्रेजी शासन के
प्रतीक पुलिस थाने पर तिरंगा झण्डा फहराया जाये। तत्काल ही इस सभा ने एक जुलूस का रूप धारण कर लिया। जुलूस भारत माँ की जय, इंकलाब जिन्दाबाद, अंग्रेजो भारत छोड़ो... आदि नारे लगाता हुआ पुलिस थाने पहुंचा। नवयुवकों में पुलिस थाने पर तिरंगा झंडा फहराने की होड़ सी लग गयी। पुलिस ने चेतावनी दी पर आज़ादी के मतवाले कहाँ मानने वाले थे। पुलिस ने लाठी चार्ज और फायरिंग शुरू कर दी। साबूलाल भी झंडा लिये आगे बढ रहे थे उन्हें पता था कि- 'आगे बढना मौतको आमंत्रण देना है पर जो घर से कफन बांधकर चला हो उसे जीवन का मोह कैसा?' धाँय धाँय धाँय तीन गोलियां चलीं और साबूलाल गिर पडे। साबूलाल और उनके साथियों को सागर अस्पताल भेजा गया। साबूलाल शहीद हो गये। जनता ने भारत के इस अनमोल रत्न को अंतिम विदाई दी। साबूलाल की स्मृति में सागर (म.प्र.) में एक कीर्ति स्तम्भ का निर्माण किया गया है। गढ़ाकोटा के प्राइमरी स्कूल का नाम साबूलाल के नाम पर रखा गया है। साबूलाल ने देश की आजादी के लिए जो कुर्बानी दी उस पर हम सबको गर्व है। ___1942 के राष्ट्रव्यापी आन्दोलन में महाराष्ट्र के अनेक सपूत देश के लिए न्यौछावर हो गये। सांगली (महाराष्ट्र) के 'अन्ना साहब पत्रावले' 24 जुलाई 1943 को सांगली जेल में शहीद हो गये। मुरगुड (कोल्हापुर) के भारमल तुकाराम 13 दिसम्बर 1942 को कोषागार लूटते हुए पकडे गये और पुलिस की गोली से उसी दिन शहीद हो गये। इसी आन्दोलन में श्री भूपाल अरणाप्पा अणस्कुरे शहादत को प्राप्त हुये थे। । साताप्पा टोपणावर भी 1942 के आन्दोलन में शहीद हो गये। गुजरात प्रांत की कुमारी जयावती संघवी । 1942 के आन्दोलन में अहमदाबाद में विद्यार्थीयों के जुलूस का नेतृत्व करते हुए पुलिस द्वारा छोडी गयी अश्रु गैस के कारण 5 अप्रैल 1943 को शहीद हो गयीं। अमर शहीद 'नाथालाल शाह' 9 नवम्बर 1943 को । अहमदाबाद में अपने विद्यार्थी जीवन में ही शहीद हो गये थे। ___ मध्यप्रदेश के सिलौंडी (जबलपुर) गाँव के अमर शहीद कंधीलाल 1930 के जंगल सत्याग्रह में राष्ट्रीय ध्वज अपनी छाती से चिपकाये हुए गोली के शिकार हो गये। उनकी स्मृति में सिलौंडी में एक स्मारक है। जबलपुर के शहीद 'मुलायमचन्द जैन' एक क्रांतिकारी से मिलते जुलते चेहरे के कारण पकड़े गये और पुलिस की बर्बरतापूर्ण पिटाई के कारण मृत्यु को प्राप्त हो गये। दमोह के शहीद 'भैयालाल चौधरी' कलकत्ता कांग्रेस । अधिवेशन से वापिस जाते हुए ट्रेन में अंग्रेज अफसरों से झगडा हो जाने के कारण मार दिये गये थे। ___ इस प्रकार जैन वीरों ने अपनी कुर्बानियाँ देकर आजादी का मार्ग प्रशस्त किया था। उन्हीं नीव के पत्थरों पर हमारी आजादी का भव्य भवन खड़ा है।