Book Title: Shekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Author(s): Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publisher: Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti

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Page 497
________________ 1452 मारमा स्पतियों के हातावना दुवासय.कव्वं (कुमारपाल-हेमचंद) सुदंसण-चरियं (दवेन्द्रसूरि) लीलावई (कोउहलो) कुम्मापुत्तचारियं (अणंतहंसो) सिरिचिंध-कबं (वररूचि) चउपणमहापुरिसचरियं (सीलंकारियो) जंबूचरियं (गुणपालमुणि) रयणचूडरायचरियं (नेमिचंदसूरि) सिरिपास-णाहचरियं (गुणचंद गणि महावीरचारियं (गुणचंदसूरि) (ख) चंपूकव्वं – कुवलयमाला (उद्योतवसूरि) । (ग) मुत्तग कव्वं (१) वजालगं (२) गाहासत्तसई (हाल) अण्ण-कव्वं - वेरग्ग-सदगं, वेरग्ग-रसायणं, धम्मरसायणं (पद्मनंदि) सट्टग- कप्पूरमंजदी (राजशेखर) चंदलेहा (रुददासो) आणंदसुंदरी। (सिंगारमंजरी) रंभा मंजरी (नयचंद) पागिद-कहा - आगम-कहा - आयारो, सूयगडो, णायाधम्मकहाओ (संपुण्ण-कहागंथो) उवासगदसाओ, विवागसुत्त, उत्तरज्झयणं, तिलोयपण्णत्ती (चउविंसइतित्थपराणं कहा। पागिदआगम-टीगा-कहा- भगवईए – पासणाहस्स कहा महावीरस्स घडणक्कमो। दसवे यालिय-चुण्णी, सूयगड-चुण्णी, णिसीहचुण्णी, ववहारभासा, कप्पसत्ताइ-कहा। उत्तरज्झयणस्स पागिदस्स मूलकहागंथाणि- (१) तरंगवई (णेमिचंदगणि) (२) वसुदेवहिंडी (संघदास) (३) समराइच्चकहा (हरि भद्दो) (४) धुतक्खाण-कहा (हरिभद्दसूरि) (५) णिबाणलीलावईकहा (६) कहाकोसपकरणं (जिणेसरसूरि) (७) संवेग-रंगसाला (जिणेवर) (८) नाणपंचमी (महेससूरि) (९) कहारयण-कोस दिवभद्दसूरि) (१०) णम्मदासुंदरी (महिंदसूरी) कुमारपालपडिबोहो (सोमप्रभ) (११) अक्खाणमणि-कोस (णेमिचंद) (१२) जिणदक्खाणं (सुमउसूरि) (१३) सिरिसिरबालकहा (वजसेण) सस्सोरयणलेहदो। (१४) रयणसेहर-णिवकहा (जिणहस्सगणी) (१५) महिबालकहा (वीरदेवगणी)। अण्णाणि कव्वाणि अत्थि। पागिद-पेंगलं। छंदाणुसासणं छंदसत्थो अलंकारदयणो वि। अहिहाणराजिंदकोसो, पाइयसइ महण्णवो जिणिंदसिइंतकोसो जैनलक्षणावली वि। पागिद-वागरणं :- पागिद-लक्खणं (चंड), पागिद-पगासो (वररुचि)। पागिदवागरणं (हमचंद) पागिद सहाणसासणं (तिविक्कमदेव), सड-भासाचंदिगा (लच्छीधरो). पागिद-रूवावतारो पागिद-सव्वस्सो (माकण्डेयो) सिद्धंत-कोमुदी (रयणचंदमुणि) कालूकोमुदी तुलसीमंजरी। हेमपागिदवागरणं, सोरसेणी पागिदवागरणं बालरूप पागिदरागरणं, वागरणप्पवेसो पागिदरयणोदयो। (उदयचन्द्र जैन) सव्वे अत्थि इगवीससदी भासा विदस्स रयणा डॉ. उदयचन्द्र जैन, उदयपुर) पागिद-हिन्दी सद्दकोसो (दोभाग) आ.णाणासायर वृहद्संस्कृतश्लोको तीन भाग) उदयचंदस्स रयणा कोसरूपे अत्थि। पुबे कि कुंदकुंदसह-कोसो अत्थि। अहुणा पागिद-खेत्ते कज्जसीला अत्थि- पाइय-सद्द-महण्णवं परिच्छा आगम-कोसो, गिजुति कोओ, समागयो। डॉ. कमलचंद सोगाणी, सुदर्शनलाल, कोमलचंद (वाराणसी), प्रेमसुमन जैन उदयपुर, सत्यरंजन बनर्जी (कलकत्ता), आचार्य विद्यानंद (दिल्ली), राजाराम दिल्ली, उदयचंद उदयपुर, पहुदि- मणीसी अस्सिं पागिद-विगास-वरणम्हि पजण्णसीला अत्थि।

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