Book Title: Shekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Author(s): Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publisher: Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
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जैनद्रव्याबुयोग एवं आधुनिक विज्ञाब: एक सूक्ष्मचर्चा
डॉ. पारसमल अग्रवाल
प्रोफेसर भौतिक विज्ञान (Retd.) ___ आधुनिक विज्ञान एवं जैन दर्शन दोनों में महत्त्वपूर्ण मूलभूत समानता यह है कि दोनों यह मानते हैं कि किसी भी द्रव्य का निर्माता या विनाशक कोई भी नहीं है। इस सृष्टि में, जैन दर्शन के अनुसार, जितनी संख्या में आत्माएं हैं वे सदैव उतनी ही रहती हैं व जितनी संख्या में पुद्गल परमाणु हैं वे भी उतने ही रहते हैं (पुद्गल परमाणु आधुनिक विज्ञान में परिभाषित एटम (atom) से बहुत बहुत सूक्ष्म होता है)। विज्ञान का ऊर्जा अविनाशिता का नियम इसी तरह के तथ्य को व्यक्त करता है।
उक्त कथन का अर्थ यह नहीं है कि आधुनिक विज्ञान या जैन दर्शन की शब्दावली में विनाश एवं निर्माण जैसे शब्द नहीं हैं। दोनों में विनाश एवं निर्माण की भी चर्चा होती है। सोने के कंगन को जब स्वर्णकार गलाकर सोने के हार में बदलता है तब यह कहा जाता है कि सोने के हार का निर्माण स्वर्णकार ने किया है। सोने के कंगन का विनाश हुआ है। परन्तु जैसे यह नहीं कहा जाता है कि सोने का निर्माण स्वर्णकार ने किया है, उसी तरह आधुनिक विज्ञान एवं जैन दर्शन उस अविनाशी को सदैव ध्यान में रखते हैं जहां किसी के निर्माण एवं विनाश के होने पर भी वह ज्यों का त्यों रहता है। आचार्य उमास्वामी ने निम्नांकित सूत्रों द्वारा इस तथ्य को निरूपित किया है
सद्व्य लक्षणम् ॥ तत्त्वार्थसूत्र 5.29
उत्पाव्यय प्रोग्य युक्तं सत् ॥ तत्त्वार्थसूत्र5.30 इन सूत्रों का अभिप्राय यह है कि द्रव्य का लक्षण सतपना है एवं सत वह है जो उत्पाद । एवं व्यय सहित ध्रुव हो। ___ यह विषय महत्त्वपूर्ण एवं गहन है। कई तरह समझने में भूलें हो सकती हैं, अतः । विशेष विस्तार हेतु प्रश्न-उत्तर प्रक्रिया द्वारा कुछ तथ्यों को समझना उचित होगा।
प्रश्न 1 : सोने के कंगन के सोने के हार में बदलने में सोने का विनाश एवं निर्माण । नहीं होता है किन्तु कोयले के जलने में कोयले का विनाश होता है। आधुनिक विज्ञान के । अनुसार कोयले के जलने में कौन शाश्वत रहता है?
उत्तर : रसायन विज्ञान यह अच्छी तरह बताता है कि कोयले का मुख्य भाग कार्बन ,