Book Title: Shekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Author(s): Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publisher: Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
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साक्षात्कार
स्मृतियों के वाता
द्वारा श्रीमती डॉ. ज्योति जैन
प्रश्न आपकी 'जन्म भूमि बुन्देलखण्ड है और कर्मभूमि अहमदाबाद' इस संबंध में आप क्या सोचते हैं?
उत्तर : मेरी पितृ - जन्मभूमि बुन्देलखंड है- पर मैं अहमदाबाद में जन्मा हूँ ऐसा मुझे माता-पिता द्वारा पता चला है। परंतु मैं बुन्देलखंडी परिवार में जन्मा - बड़ा हुआ । मेरे घर-परिवार का वातावरण पूर्व बुन्देलखंदी रहा । हम लोग, हमारे पुत्र व पौत्र । सभी आज भी घर में बुन्देलखंडी ही बोलते हैं। प्रारंभ में लगभग प्रतिवर्ष अपने वतन अस्तारी ( तह. निवाडी, जि. टीकमगढ़) जाते रहते थे। फिर धीरे धीरे वह कम हो गया। सारी रिश्तेदारियाँ बुन्देलखंड में हैं अतः मैं स्वयं की जन्मभूमि बुन्देलखंड कहूँ तो भी उचित ही है। रहा प्रश्न कर्मभूमि का सो शिक्षा की पूर्णता अहमदाबाद में हुई। सन १९६३ से १९८८ तक सौराष्ट्र में अमरेली - राजकोट, ! सूरत व भावनगर रहा। जिसमें भावनगर १६ वर्षों तक रहा अतः : कर्मभूमि पूरा गुजरात रहा। हाँ! अहमदाबाद से निरंतर संपर्क में रहा। माता-पिता, परिवार, रिश्तेदार सभी अहमदाबाद थे। अतः प्रायः महिने में २ बार औसतन अहमदाबाद आता रहता था। यहाँ की सामाजिक-धार्मिक - राजनीतिक संपर्क जीवित रहते । थे इस दृष्टि से यो कहें कि सेवा की भूमि सौराष्ट्र और पूरी कर्मभूमि अहमदाबाद गुजरात रही है।