Book Title: Shekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Author(s): Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publisher: Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
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प्रश्न आपके पापाजी और आपकी उम्र की वजह से, ख्यालातों और स्वभाव की वजह से बहुत अंतर होना स्वाभाविक है, कैसे समाधान पाते हो?
उत्तर : समाधान की कोशिष नहीं की है, ज्यादातर मौन रहना पसंद करता हूँ।
श्रीमती नीति जैन (पुत्रवधु)
प्रश्न आपके ससुर और सासमें आपकी चाहना किसकी ओर ज्यादा है? उत्तर : हमारी चाहना सास-ससुर दोनों की ओर है।
प्रश्न
आपके परिवार का ऐसा कौनसा प्रसंग आपकी स्मृति में है जिससे आपको बेहद खुशी हुई हो ? उत्तर : आनेवाले अभिनंदन के प्रसंग से बहुत खुशी हो रही है।
प्रश्न
आपके बच्चों के साथ उनके दादाजी का बर्ताव कैसा होता है?
उत्तर : बच्चों के साथ दादाजी का व्यवहार सही है। प्यारभी करते हैं और बच्चो को गलती करने पर डाँटते भी हैं।
डॉ. महेन्द्र जैन (भाई)
आपके भाई डॉ. शेखरचन्द्रजी जैन का अभिनंदन होने जा रहा है, आपके भाई की कौनसी विशिष्टताओ से यह सब मान-सम्मान मिल रहा है?
उत्तर : आंतरराष्ट्रीय विद्वान हैं, जैनधर्म के ज्ञाता है, प्रवचनमणि है। समाज के ऐसे विद्वान है जो शैक्षणिक, सामाजिक प्रवृत्तिओ में संलग्न है। सेवाकी भावना से ओतप्रोत हैं, स्वाभाविक है कि ऐसे व्यक्तित्व का सम्मान होना ही चाहिए।
प्रश्न
प्रश्न आपके लिए और पूरे परिवार के लिए उनका समर्पण कैसा रहा है?
उत्तर : हमारे लिए और हमारे परिवार के लिए सन्मानीय है, पूरे परिवार को मार्गदर्शन देते है और सबको एकजुट रखते हैं। उनकी मैं जितनी प्रशंसा करूँ वे कम है। मैं आज जिस मुकाम पर हूँ उसका पूरा श्रेय मेरे इन बड़े भाई को है। मुझे पुत्रकी तरह पाला पढ़ाया है। अति कम आय होने पर भी मुझे डॉक्टरी पढ़ाई यह उनका ही प्रतिफल है जो मैं भोग रहा हूँ ।
परिवार के चारों बच्चो से संयुक्त मुलाकात ली। जिसका मिला जुला अंश
(1) पौत्री - किंजल राकेशजी जैन (2) पौत्र - निशांत राकेशजी जैन
( 3 ) पौत्र - निसर्ग अशेषजी जैन (4) पौत्री - आयुषी अशेषजी जैन
“दादाजी जब परदेश से चोकलेट के डिब्बे लाते हैं तब चोकलेट जैसे मीठे लगते हैं। जब दादाजी गुस्सा करते
है तब हम को भी गुस्सा आता है लेकिन जब मम्मी-पापा समझाते हैं कि दादाजी तुम्हारी भलाई के लिए ! गुस्सा करते हैं तब हमारा गुस्सा शांत हो जाता है। जब दादाजी ने भरी सभामें हमसे मंगलाचरण करवाया तब हमें बहुत अच्छा लगा।”
एक भी बच्चा डॉक्टर बनने को इच्छुक नहीं है। ज्यादातर पायलट बनने का भाव रखते हैं।