Book Title: Shekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Author(s): Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publisher: Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
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आधुनिकपाश्चात्य विज्ञान सेभी श्रेष्ठथा प्राचीन प्राच्य विज्ञान
___आचार्य कनकनंदीजी भारतीय अधिकांश शिक्षित या अशिक्षित, ग्रामीण या नगर के लोग जानते हैं, मानते हैं, बोलते हैं व लिखते हैं कि विज्ञान का आविष्कार, शोध-बोध एवं प्रचारप्रसार पाश्चात्य देशों से हुआ है। जब मैं प्रवचन आदि में कहता हूँ कि पाश्चात्य आधुनिक विज्ञान से भी भारत में हर विद्या का विज्ञान श्रेष्ठ था तो अधिकांश व्यक्ति विश्वास नहीं करते हैं, कुछ वर्षों से कुछ व्यक्ति मानने लगे हैं कि भारत में प्राचीन काल में भी विज्ञान था। भारतीय धर्म विशेषतः जैनधर्म-वैज्ञानिक धर्म है। यथा- शाकाहार, पानी छानकर पीना, रात को नहीं खाना, माँस नहीं खाना, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करना आदि। परन्तु इतना ही भारतीय धर्म, साहित्य में विज्ञान नहीं है। यह तो व्यावहारिक सामान्य विज्ञान है। इससे भी श्रेष्ठ विज्ञान भारत में था, यथा आध्यात्मिक- । विज्ञान, ध्यान-विज्ञान, द्रव्य-विज्ञान, ब्रह्माण्डीय-विज्ञान, गणितीय विज्ञान, अणुविज्ञान, | जीव विज्ञान, भौतिक एवं रासायनिक विज्ञान, अनेकान्त सिद्धान्त / सापेक्ष सिद्धान्त, पारिस्थितिकी. पर्यावरण सरक्षा. वनस्पति विज्ञान, आयर्विज्ञान (आयर्वेद) शकनविज्ञान, मन्त्र विज्ञान, शरीर विज्ञान, शल्य चिकित्सा, नक्षत्र-विज्ञान, मनोविज्ञान, गतिसिद्धान्त, प्रकाशसिद्धान्त, धातु-विज्ञान, शिल्प-विज्ञान, भाषा विज्ञान, कर्म सिद्धान्त (अनुवांशिकी जिनोम, DNA. RNA. सिद्धान्त से भी श्रेष्ठ सिद्धान्त) वास्तुशास्त्र, विमान विज्ञान, नौका विज्ञान, समुद्र विज्ञान, सूक्ष्मजीव विज्ञान (आधुनिक बैक्टेरिया, वायरस आदि सूक्ष्म जीव विज्ञान से भी श्रेष्ठ-निगोदिया सूक्ष्म विज्ञान) आदि-आदि। इतना ही नहीं आधुनिक विज्ञान तो केवल भौतिक है, परिवर्तनशील है, कुछ अंश में भ्रान्तिपूर्ण है, । परिकल्पित है। परन्तु प्राचीन भारतीय विज्ञान भौतिक से लेकर अध्यात्म, मूर्तिक से लेकर अमूर्तिक, सूक्ष्म से लेकर स्थूल, अणु से लेकर ब्रह्माण्ड, आत्मा से लेकर परमात्मा, संसार से लेकर मोक्ष, शून्य से लेकर पूर्ण, क्षय से अक्षय, एक से लेकर अनन्त तक है जो कि आधुनिक ज्ञान-विज्ञान से भी व्यापक हैं। निम्न में सोदाहरण कुछ वर्णन कर रहा हूँ। विस्तृत परिज्ञान के लिए मेरे द्वारा रचित (1) विश्व विज्ञान रहस्य (2) विश्व प्रतिविश्व एवं श्यामविवर (3) स्वतंत्रता के सूत्र (4) प्रथम शोध-बोध आविष्कार एवं प्रवक्ता (5) धर्म दर्शन एवं विज्ञान (6) मन्त्र विज्ञान (7) स्वप्न विज्ञान (8) शकुन ।