Book Title: Shekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Author(s): Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publisher: Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
View full book text
________________
100
पतियों के वातायन से
जीवन वे इस उत्तरार्ध में भी सक्रिय बनाये रखा है। आपका कार्यक्षेत्र गुजरात रहा है। आपकी समन्वयवादी और सहिष्णु प्रकृति निश्चय ही आपके व्यक्तित्व को विशेष गरिमा प्रदान करती है।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि समाज ने आपके अभिनन्दन का निर्णय लिया है। मैं आपके सुखद एवं मंगलमय भावी जीवन की कामना करते हुए यही अपेक्षा रखता हूँ कि आपकी लेखनी समाज को संकीर्णता की दिवारों से भूलकर एक समग्र एवं समन्वित दृष्टि प्रदान करे ।
डॉ. सागरमल जैन (शाजापुर) पूर्व निदेशक, श्री पार्श्वनाथ शोध संस्थान, वाराणसी
अविस्मरणीय पल
मुझे ज्ञातकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि हम उम्र भाई डॉ. शेखरचन्द्र जैन का अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया। इस अभिनन्दन ग्रन्थ समिति के सभी पदाधिकारी गण व सदस्यगण बधाई के पात्र हैं। डॉ. शेखरजी के विषय में मैं अपनी पुत्रवधू डॉ. (श्रीमती) अल्पना जैन 'अभि' से सुनता रहता था। वह उनकी काफी मैं तारीफ करती थी । जब डॉ. साहब का फोन आता तो वह मुझे से भी बात करा देती । फोनवार्ता से भले व्यक्ति सहज, सरल व्यक्तित्व के धनी प्रतीत हुये। मैंने उन्हें अपने घर आने के लिए आमन्त्रित किया । सुयोग्य से मेरा व मेरी धर्मपत्नीजी का जाना अल्पना के साथ अयोध्याजी हुआ। काफी धार्मिक चर्चा होती रही । मिलके ऐसा पहलीबार में ही लगा जैसे हम लोग कितने पुराने परिचित हैं। उनका व्यक्तित्व काबलेतारीफ है।
जब वह भाई विनोद हर्ष, इन्दू वी. शाह, कान्ताबेन, डॉ. सुशील के साथ हमारे निवास स्थान पर पधारे तो कुछ ही क्षण में ऐसा प्रतीत होने लगा न जाने हम सब कब से एकसाथ रह रहे हैं। बिना कोई तकुल्लक के अपनत्व 1 के साथ हम सभीने दिन व्यतीत किया। जब हमने अपने यहाँ की निर्मित भगवान महावीर की मूर्ति ( फाइबर ! ग्लास) भेंट की तो कहने लगे इसे तो हम हास्पीटल में लगायेंगे और उद्घाटन के लिए आपको आना है। इस सम्बन्ध में कईबार फोन प्राप्त हुआ। आपके आने पर ही रखी जायेगी। परन्तु कुछ कारणोंवश मैं नहीं पहुँच सका। उन्होंने मुझे भाई का सम्मान व स्नेह दिया। उनके साथ बिताये अविस्मरणीय पल मेरे आज भी हृदयांगत हैं। सरल स्वभावी, ओजस्वी वाणी, प्रखर वक्ता के उज्ज्वल भविष्य, सुस्वास्थ्य की कामना करता हूँ। वह शतायु हों । "हम भाई का फर्ज निभाते रहेंगे आपको सदा हम बुलाते रहेंगे ॥ दुआ कर रहे है लम्बी उम्र हो आपकी यूँ ही ज्ञानामृत की वर्षा सदा करते रहेंगे ॥"
श्री विनोदकुमार जैन अवध ग्रामोद्योग संस्थान, लखनऊ
एक अजस्र निर्झर ज्ञान का
डॉ. शेखरचन्द्र जैन एक नाम है श्रद्धा का, शिखर पर अवस्थित हैं जहाँ अतीत और भविष्य से ही सामने वाले के अन्तस को निर्विष कर देते हैं सदैव समशीतोष्ण व्यक्तित्व ।
डॉ. साहब का ओजस्वी व्यक्तित्व विकास के हर सोपान पर उजालों का प्रदीप बनकर प्रेरणा का संचालन
विश्वास का और सम्मान का । वे प्राज्ञ पुरुष हैं। पाण्डित्य के उस - सब कुछ दिखाई देता है। वे ऐसे 'गुनी' हैं जो केवल वाण । सदैव तृप्त, मुस्कुराते हुए और जीवन्तता से लबालब भरे हुए,
-