Book Title: Shekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Author(s): Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publisher: Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
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अमरीका के अनुभव
श्री निर्मलजी ने वहाँ से टिकिट भेजी डेल्टा एयरलाईन की। बंबई से यात्रा का प्रारंभ हुआ । फ्रेंकफर्ट (जर्मनी) होकर सर्वप्रथम १८ - १९ घंटे की उड़ान भरकर अमरीका की धरतीपर सर्वप्रथम सेन्ट लुईस पहुँचा। अमरीका भौतिक सुखों की चमक से चकाचौंध करनेवाला देश । विशालतम हवाई अड्डे जो अत्याधुनिक सुविधाओं से सज्ज । मैं ऐजन्ट द्वारा दी गई सूचनाओं के साथ साईनबोर्ड पढ़ते हुए सामान लेनेवाले बैल्ट तक पहुँचा। पहली बार देखा आनंदमिश्रित आश्चर्य था । सामान लिया। बाहर श्री मनहर सुराणाजी अपने मित्र के साथ लेने आये थे । इन्डियन द्वारा इन्डियन को पहिचानने में देर नहीं लगी। सड़कों पर कीड़ों की तरह दौड़ती बड़ी-बड़ी महँगी कारें पहली बार देखी । ४-६ लेन वाली चौड़ी सड़कें देखी। लगभग हर फर्लांग पर सिग्नल लाईट देखी और देखे हर मार्ग के इन्डिकेशन। सड़क पर गाड़ियों के अलावा एक भी व्यक्ति पैदल नहीं । याद आ गई भारत की जहाँ आप कभी भी किसी भी लेन में गाड़ी मोड़ सकते हैं। लोग अपने ढंग से चलते हैं। स्कूटर, रीक्षा, साईकल कहीं भी 1 घुसाये जा सकते हैं। फिर सड़कों पर सदैव पुण्य प्राप्त होता रहे अतः गाय माता जुगाली करती हुई कहीं भी बैठी ! मिल सकती हैं। फुटपाथ तो होती ही नहीं और होती है तो उसपर दुकाने सज़ी रहती हैं । यहाँ बड़े विचित्र लोग लगे। आगे-पीछे कोई ट्राफिक नहीं फिरभी लाल लाईट पर खड़े ही रहते हैं। लगता है उन्होंने हिन्दुस्तान की स्वतंत्र ड्राइविंग नहीं देखी। सड़कों की सफाई व्यवस्था देखकर मन प्रसन्न हो गया ।
आप अमरीका के बड़े से बड़े शहर में जाइये या छोटे से छोटे गाँव में सभी सुविधायें समान रूप से उपलब्ध हो जायेंगीं । सर्वत्र एक सी सड़कें, पेट्रोल पंप जिसे गैसोलीन कहते हैं- मिल जायेंगे। सभी जगह बड़े-बड़े मॉल (बिग बज़ार) मकान प्रायः एक से, हाँ गरीब-अमीर के मकानो में यहाँ भी छोटे-बड़े का अंतर है । प्रायः प्रत्येक घर पूर्ण रूप से वातानुकुलित, २४ घंटे पानी, मकान प्रायः लकड़ी के पर अति खूबसूरत । कुछ बड़े शहरों को छोड़ दें तो मकान विशाल प्लोट में चारों और घना जंगल। प्रत्येक घर में घास लगाना अनिवार्य । और उसे अमुक समय मे कटावाना भी अनिवार्य । पूरे देशमें कहीं भी नंगी, खुली जमीन नहीं। जो सरकारी जमीने हैं उन पर सरकार की 1 ओर से नियमित घास लगाई जाती है, उसे काटकर खूबसूरत बनाया जाता है।
घर भी सरकारी प्लान के अनुसार ही बनाये जाते हैं। कोई प्लान से अधिक एक इंट भी अतिरिक्त नहीं रख सकता। यह देखकर फिर याद आ गई भारत की । जहाँ आप चाहें वैसा मकान बना सकते हैं। बड़े शहरों को छोड़कर चाहें तो प्लान बनवायें, चाहे स्वयं बनायें। यदि कोई मकान प्लान के अनुसार ही बनाया हो, तो लोग उसमें अपने मनमाने ढंग से नया निर्माण कर लेते हैं। कहीं कहीं तो मूल निर्माण दिखता ही नहीं है।
सुना है वहाँ प्रत्येक व्यक्ति यथा समय मकान, कार, वीमा सभी टेक्ष आदि की अदायगी यथासमय या उससे पूर्व ही कर देते हैं। मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ। हमारे यहाँ तो हम टेक्ष की नोटिसें ही घोलकर पी जाते हैं। यदि । वहाँ गाड़ी का टैक्स दिन को १२ बजे पूरा हो जाये तो कोई गाड़ी नहीं चलायेगा। जबकि हम तो वर्षों तक ध्यान ही नहीं देते या फिर लेट लतीफ भरते रहते हैं। हाँ पकड़े जाने पर या तो पुलिस की मुट्ठी गरम करनी पड़ती है या फिर टैक्स भर ही देते हैं। सुविधा की दृष्टि से यहाँ सड़कों के भी विशेष विभाग हैं। जैसे नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे एवं लोकल रोड़। इनमें भी टोलटैक्स रोड़ एवं टोलटैक्स बिना के रोड़ हैं। टोलटैक्स रोड़ में कहीं कोई 1 रुकावट नहीं। रोड़ की हर गली, हर चार रास्ते पर लाईट के सिग्नल । इतना ही नहीं गाड़ी की स्पीड के अनुसार भी रोड़ के विभाजन हैं। स्पीड़ से अधिक तेज चलाने वाला पुलिस के राडार में आ गया तो कम से कम ५० डॉलर