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स्मृतियों के वातायन से
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* बहुमुखी प्रतिभा के धनी
डॉ. शेखरचन्द्र जैन सुधी साहित्यकार, यशस्वी शिक्षा शास्त्री, मनस्वी चिंतक, सतर्क संपादक, में ही केवल व्यंजक नहीं हैं अपितु उनका नाम साहित्य संस्कृति एवं जैन धर्म व समाज की निस्वार्थ सेवा में समर्पण के कारण भी शीर्षस्थ एवं वरेण्य है।
आपकी एक बड़ी पहचान आपके कुशल संपादन में नियमित निकलने वाली पठनीय, संग्रणीय, शिक्षा प्रद प्रत्रिका 'तीर्थंकर वाणी' है जिसका आप पिछले 15 वर्षों से संपादन कार्य कर रहे हैं, इसके द्वारा आपने देशविदेश में हिन्दी - गुजराती एवं अंग्रेजी तीनों भाषाओं के माध्यम से बालकों को शिक्षा देने का कार्य एवं युवाओं को जैन धर्म के प्रति लगाव उत्पन्न करने का कार्य किया है।
आपने हिन्दी-साहित्य और जैन साहित्य में साहित्य का सृजन किया, जिनमें शोध ग्रंथ, उपन्यास, कहानी एवं कविता व समीक्षा की पुस्तकों का समावेश है। आप कई सामाजिक, धार्मिक, साहित्यिक संस्थाओं में से भी जुड़कर अपनी अमूल्य सेवा निःस्वार्थ रूप से प्रदान करते रहे हैं। आप 10 वर्ष तक भावनगर की रोटरी क्लब में विविध पदों पर सक्रिय रहे तो भावनगर के भारत जैन महामंडल के संस्थापक व वर्तमान में गुजरात स्तर पर उपाध्यक्ष रूप में कार्यरत हैं। डॉ. जैनने कुशल नेतृत्व के कारण भ. ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ के 3 वर्षो तक अध्यक्ष पद पर आसीन रहे हैं, आप भा. दि. जैन शास्त्री परिषद में कार्यकारिणी के सक्रिय सदस्य रहे हैं।
आप समन्वय ध्यान साधना केन्द्र के ट्रस्टी अध्यक्ष हैं जो पिछले 10 वर्षो से अहमदाबाद के अति पिछड़े इलाके 'ओव' में श्री आशुपारा माँ जैन अस्पताल के नाम से गरीबों की सेवा कर रह हैं। असहाय लोगों को निःशुल्क और निःशुल्क आँख व ऑपरेशन कराये जा रहे हैं। आप पिछले 15 वर्षो से भारत एवं विदेश ( अमरीका, यूरोप, अफ्रीका) में जैन धर्म के प्रवचनार्थ आमंत्रित होते रहे हैं, जहाँ धर्म, संस्कृति के प्रचार-प्रसार के साथ - 2 णमोकार ध्यान मंत्र के शिविर के माध्यम से जैन धर्म की साधना पद्धति का वैज्ञानिक संदर्भों में प्रस्तुतिकरण किया है, आपको अनेक उपाधि एवं पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
ऐसे चहुमुखी प्रतिभा के धनी, आंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान, लेखनी के धनी, समाजसेवी, सतर्क संपादक डॉ. शेखरचंद्र जैन का अभिनन्दन पूर्ण गौरव - गरिमा के साथ सम्पन्न हो, मैं ईश्वर से डॉ. शेखरचन्द्र जैन के स्वस्थ जीवन व दीर्घायु होने की मंगल कामना करता हूँ ।
डॉ. ताराचन्द्र जैन बख्शी (जयपुर)
'विद्वद शिरोमणि श्री डॉ. शेखरचंदजी का शिखर स्थान'
यथा हिमालय अपने शिखरों में शिरोमणि उच्च स्थान रखता है, उसी प्रकार गुजरात प्रान्त की राजधानी महानगरी अहमदाबाद प्रधान है। अहमदाबाद में एक प्रबुद्ध व्यक्तित्व के धनी 'पन्नालाल ' तात गृह जन्म देनेवाली मां जय श्रीदेवी बड़ी भाग्यशाली पुण्यवान ने 'पन्नारत्न' राम सुत जन कर 'शेखर' को शिखर बनाया। डॉ. साहब प्रखर बुद्धि प्राप्त कर सूर्य-चन्द्र के समान विद्वद शिरोमणि के रूप में दैदीप्यमान हैं। आज जैन समाज के कर्मठ मूर्धन्य विद्वान, प्रतिभावान, ज्ञानवान विद्वद् शिरोमणि हैं। डॉ. शेखरचंदजी करूणा वात्सल्य की मूर्ति हैं। आपकी प्रतिभा ख्याति देश/विदेशों में गूंजी। आपने अमेरिका, यूरोप, कनाडा जैसे देशों में जैन धर्म पर प्रवचन कर जैन !