Book Title: Shekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Author(s): Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publisher: Shekharchandra Jain Abhinandan Samiti
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मातयाकवातायनाला
स्वागत सप्तपदी
म. कपूरचंद जैन (खतौली)
बोलिये स्वागत के दो बोल दीजिए ह तंत्री को खोल बोलिये स्वागत के दो बोल
अहमदाबाद नगर है प्यारा सारे जग से है यह न्यारा साबरमती नदी का कलकल जिसका नहीं है मोल बोलिये स्वागत के दो बोल
विद्वज्जन सब मिलकर आये बड़े बड़े श्रेष्ठी पधराये सब मिल अभिनन्दन करते बोलें मीठे बोल बोलिये स्वागत के दो बोल
शेखरचन्द्र यहाँ हैं रहते करुणा की धारा में बहते दुःखी दलित मनुजों को लखकर दिया हास्पिटल खोल बोलिये स्वागत के दो बोल
एक और अवसर है आया पाकर जन-जन है हर्षाया दाम्पत्य की स्वर्ण जयंती रही सौभाग्य को खोल बोलिये स्वागत के दो बोल
बहुत दिनों तक खूब पढ़ाया जैनागम को भी समझाया खोज और संधान क्षेत्र में नहीं है इनका तोल बोलिये स्वागत के दो बोल
सम्पादक मण्डल हर्षा या चुन-चुन शब्द कुसुम है लाया 'स्मृतियों के वातायन' में भाव भरे अनमोल बोलिये स्वागत के दो बोल
हम सभी कामना हैं यह करते अभिनंदन! अभिनंदन! कहते आप शतायु होकर के दें राष्ट्र दिशा अनमोल बोलिये स्वागत के दो बोल