________________
२२ / नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-वृश्चिक शब्द मूल : पुमान् स्याद् वृश्चिके भृङ्ग त्रिषु स्याद् विशदाशये ।
आलोको दर्शने द्योते गवाक्षे वन्दि भाषणे ।।११०॥ आवर्तः सलिलभ्रान्तौ चिन्ता मेघाधिपान्तरे ।
राजावर्ताऽऽख्योपरत्ने पुमान् आवर्तनेपि च ॥१११॥ हिन्दी टीका-वृश्चिक राशि और वृश्चिक (बिच्छ्) अर्थ में तथा भृङ्ग (भ्रमर) अर्थ में आलि शब्द पुल्लिग माना जाता है किन्तु विशद आशय (स्पष्ट अभिप्राय) अर्थ में आलि शब्द त्रिलिंग समझना चाहिए। आलोक शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं - १. दर्शन, २. द्योत (प्रकाश) ३. गवाक्ष (वारणाखिड़की) और ४. वन्विभाषण (भाट चारण का चाटु वाक्य) । आवर्त शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. सलिल भ्रान्ति (पानी को भ्रमि-भवर) २. चिन्ता, ३. मेघाधिप (मेघ का राजा) को भी आवर्तक कहते हैं, ४. राजावर्त नाम का उपरत्न (रत्न विशेष) और ५. आवर्तन (घूमना) । इस तरह आलोक शब्द के चार और आवतं शब्द के पाँच अर्थ होते हैं । और आलि शब्द के सात अर्थ समझना चाहिए । मूल : आदानं ग्रहणे रोगलक्षणेऽश्वविभूषणे।
आदीनवः पुमान् दोषे दुरन्त - क्लेशयोरपि ॥११२॥ आधिर्व्यसनप्रत्याशा मनःपीडासु बन्धके ।
आध्मातः संयते दग्धे वातरोगेपि शब्दिते ॥११३।। हिन्दी टोका-आदान शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. ग्रहण (लेना) २. रोगलक्षण (रोग का चिन्ह) ३. अश्वविभूषण (घोड़ा का आभूषण) । आदीनव शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. दोष, २. दुरन्त (खराब परिणाम, नतीजा) और ३. क्लेश (तकलीफ)। आधि शब्द पुल्लिग
थं होते हैं --१. व्यसन (आपत्ति) २. प्रत्याशा (आशा-इन्तजार करना) ३. मनःपीडा (मानसिक तकलीफ) और ४. बन्धक (प्रतिबन्धक, रोकने वाला)। आध्मात शब्द पुल्लिग है और उसके भी चार अर्थ हैं-१. संयत (संयमशील-संयमी) २. दग्ध (आग से तपा कर शोधा हुआ) ३. बातरोग (वायु का फसाद) और ४. शब्दित (शंखादि का शब्द)।
आप्तः प्रत्ययिते प्राप्ते सम्बद्ध स्यात् त्रिलिंगकः । आप्तिाभे च सम्बन्धेऽप्याऽऽप्यमम्मयो ॥११४॥ आबन्धो भूषणे योक्त्रे बन्धन-स्नेहयोः पुमान् ।
आभोगे वरुणच्छत्रे परिपूर्णत्वयत्नयो ॥११५।। हिन्दी टीका-आप्त शब्द त्रिलिंग (पुल्लिग, स्त्रीलिंग, नपुंसक) है और उसके तीन अर्थ होते हैं१. प्रत्ययित (विश्वस्त, प्रामाणिक) २. प्राप्त (मिल जाना) ३. सम्बद्ध (सम्बन्ध युक्त) । आप्ति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. लाभ, २. सम्बन्ध (कनैक्शन-Connection)। 'अम्मय' जलमय वस्तु (जोत, हल के को आप्य कहते हैं । आबन्ध शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. भूषण (जेबर) २. योक्त्र पालों में बांधी जाने वाली रस्सी) ३. बन्धन, ४. स्नेह (प्रेम)। आभोग शब्द भी पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. वरुणच्छत्र (वरुण देवता का छाता) २. परिपूर्णत्व और ३. यत्न (अध्यवसाय)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org