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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - निबन्धन शब्द | १८६
हिन्दी टीका - निबन्धन शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. कारण (हेतु) २. उपनाह (वीणा तन्त्री का बना हुआ ऊपर भाग) ३ बन्धन (बाँधना ) । निभ शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं - १. व्याज (छल बहाना ) २. प्रकाश और ३. सदृश ( सरखा) किन्तु इस सदृश अर्थ में निभ शब्द त्रिलिंग माना जाता है । निमित्त शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ होते हैं१. शकुन (शुभ लक्षण विशेष) २. चिह्न (अंक) और ३. कारण (हेतु) । निमिष शब्द पुल्लिंग है और उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं - १. कालभेद (काल विशेष संकण्ड-क्षण-पल-मिनट वगैरह ) और २. विष्णु ( भगवान् विष्णु) और ३. चक्षुर्निमीलन (आँख बन्द करना) ।
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मूल :
निमीलनन्तु मरणे निमेषेऽथ निमीलिका |
व्याजे निमीलने चाथो निमेषः समयान्तरे ।। १०५.३ ।। नियतः संयति नित्ये नियति नियमे विधौ ।
नियन्ता शासके सूते चार्गलिते नियन्त्रितः ॥ १०५४।।
हिन्दी टीका -- निमीलन शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ होते हैं- - १. मरण (मृत्यु) २. निमेष ( पलक बन्द करना) । निमोलिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी दो अर्थ होते हैं - १. व्याज (छल - बहाना) और २. निमीलन (आँख बन्द करना) । निमेष शब्द का अर्थ - १. समयान्तर (समय विशेष क्षण-पल वगैरह ) होता है । नियत शब्द दो अर्थ होते हैं - १. संयत् (संग्राम-युद्ध लड़ाई) और २. नित्य (हमेशा रहने वाला) । नियति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. नियम ( रूढी नियन्त्रण) और २. विधि ( भाग्य देव ) । नियन्ता शब्द पुल्लिंग है और उसके भी दो अर्थ होते हैं - १ शासक ( शासन करने वाला) और २ सूत (सारथि ) । नियन्त्रित शब्द का अर्थ - १. अलित (नियमबद्ध और अर्गला जंजीर से बँधा हुआ) है इस तरह नियन्त्रित शब्द का एक अर्थ जानना चाहिये ।
मूल :
नियमो निश्चये शौचे सन्तोषे तपसि व्रते । ईश्वरप्रणिधाने च सिद्धान्त श्रवणे जपे ॥१०५५॥ मन्त्रणायां प्रतिज्ञायां स्वाध्याये हुतदानयोः । आस्तिक्ये ह्री- धीषणयोः कमर्ण्यागन्तु साधने ॥। १०५६ ।।
हिन्दी टीका - नियम शब्द पुल्लिंग है और उसके अठारह अर्थ माने जाते हैं - १. निश्चय (निर्णय) २. शौच (पवित्रता ) ३. सन्तोष, ४ तपस् (तपस्या) ५. व्रत (उपवास वगैरह ) ६. ईश्वरप्रणिधान ( ईश्वर का ध्यान मनन- चिन्तन) ७. सिद्धान्त श्रवण ( सिद्धान्त का श्रवण ) और ८. जप तथा & मन्त्रणा ( विचार विमर्श ) १०. प्रतिज्ञा, ११. स्वाध्याय, १२. हुत (आहुति दिया गया) और १३. दान एवं १४. आस्तिक्य ( ईश्वर धर्मादि को मानना ) १५. हो ( लज्जा शर्मं ) १६. घोषणा (बुद्धि) १७. कम (कर्म करना) और १८. आगन्तुक साधन ( आगामी भावी कार्य को सिद्ध करने की भावना या साधन सामग्री) इस तरह नियम शब्द के अठारह अर्थ समझने चाहिये ।
मूल :
सत्यादिपञ्चकेऽर्चायां
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यज्ञ
इन्द्रियनिग्रहे ।
नियामक: पोतवाहे कर्ण धारे नियन्तरि ॥ १०५७।।
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