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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - भट्टारक शब्द | २३६
हस्तिजातिविशेषे च भद्रं तु मंगले स्मृतम् । भद्रा प्रसारिणी रास्ना - नीली - व्योमनदीषु च ॥१३५६॥
हिन्दी टीका - नाट्योक्ति नाट्यशास्त्र की परिभाषा के अनुसार भट्टारक शब्द का निम्न तीन अर्थों में प्रयोग किया जाता है - १. नृपति (राजा) २. देव, और ३. पूज्य, इन तीनों अर्थों में भट्टारक शब्द का नाट्यशास्त्र में प्रयोग होता है । पुल्लिंग भद्र शब्द के पाँच अर्थ होते हैं - १. शिव (भगवान शंकर ) २. खञ्जरीट (खञ्जन नाम का पक्षी विशेष ) ३. वृषभ (बैल) ४. कदम्बक (समूह) तथा ५ हस्तिजाति विशेष (भद्र नाम का प्रसिद्ध हाथी जाति विशेष ) किन्तु नपुंसक भद्र शब्द का अर्थ ६. मंगल होता है । भद्रा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं – १, प्रसारिणी (कुब्ज प्रसारिणी, वंवर, आकाशबेल) २. रास्ना (तुलसी) ३. नीली (गड़ी) ४. व्योम नदी (आकाश गंगा) ।
मूल :
वचा ऽपराजिता ऽनन्ता - काकोदुम्बरिकासु च । तिथिभेदे हरिद्रायां कट्फले सारिवान्तरे ।।१३५७।। बुद्धशक्त्यन्तरे दन्त्यां काश्मरी - श्वेत दूर्वयोः । भयानकस्तु शार्दूले रसभेदे विधुन्तुदे ।। १३५८ ॥
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हिन्दी टीका-भद्रा शब्द के और भी बारह अर्थ माने गये हैं- १. वचा, २. अपराजिता, ३. अनन्ता, ४. काकोदुम्बरिका (कठूमर, काला गूलर ) ५. तिथिभेद (सप्तमी द्वादशी और द्वितीया तिथि) को भी भद्रा कहते हैं । ६. हरिद्रा (हल्दी) ७. कट्फल (कायफल - जाफर) सारिवान्तर (सारिवा विशेषसारसपक्षी ९. बुद्धशक्त्यन्तर (भगवान बुद्ध का शक्ति विशेष) १०. दन्ती (दन्ती नाम का औषध विशेष ) ११. काश्मरी (खंभारी - गंभार) और १२. श्वेतदूर्वा (सफेद दूभी) । भयानक शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं - १. शार्दूल, २. रसभेद ( रस विशेष - भयानक रस) तथा ३. विधुन्तुद (राहु) । मूल :
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भरण्यं वेतने मूल्ये भरणं पोषणे भृतौ । भरतः शवरे क्षेत्रे दौष्मन्ति - मुनिभेदयोः ॥१३५६॥ रामानुजे नाट्यशास्त्रे तन्तुवायेऽपि कीर्तितः । भर्म नाभौ च धुस्तु काञ्चने वेतनेऽद्वयोः ॥ १३६०॥
हिन्दी टीका - भरण्य शब्द के दो अर्थ होते हैं - १. वेतन, २. मूल्य (कीमत ) । भरण शब्द के भी दो अर्थ होते हैं - १. पोषण (रक्षण) और २. भृति (सेवा, जीविका ) । भरत शब्द के सात अर्थ माने जाते हैं - १. शबर (भील जाति ) २. क्षेत्र, ३. दौष्मन्ति (दुष्यन्त राजा का पुत्र) ४. मुनिभेद (मुनि विशेष, नाट्यशास्त्र का कर्ता भरत नाम का प्रसिद्ध मुनि) ५. रामानुज ( भगवान रामचन्द्र का छोटा भाई भरत ) ६. नाट्यशास्त्र और ७. तन्तुवाय ( जुलाहा कपड़ा बुनने वाला) । भर्म शब्द नकारान्त नपुंसक है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. नाभि, २. धुस्तूर ( धत्तूर ) और ३. काञ्चन (सोना) किन्तु ४. वेतन अर्थ में भर्म केवल पुल्लिंग ही माना जाता है ।
मूल :
भवो जन्मनि संसारे क्षेमे प्राप्तौ महेश्वरे ।
भव्यं त्रिषु शुभे योग्ये सत्ये भाविनि चेष्यते ।। १३६१।।
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