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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - मलिन शब्द | २५१
हिन्दी टीका - मलिन शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. दूषित (दोषयुक्त) २. कृष्ण (काला) ३. मलसंयुक्तवस्तु (मलिन वस्तु) । मलिम्लुच शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. अनल (अग्नि) २. चौर ३. मलमास ( पुरुषोत्तम महीना ) तथा ४. प्रभञ्जन (वायु-झंझावात ) । मल्ल शब्द पुल्लिंग है और उसके भी चार अर्थ होते हैं - १. कपोल ( गाल ) २. प त्र ( बर्तन विशेष - माली) ३. बलिष्ठ (अत्यन्त बलवान) और ४. बाहुयोधी (मल्लयुद्ध करने वाला) । मल्लि शब्द - १. जिनान्तर ( जिन विशेष ) अर्थ में पुल्लिंग माना जाता है किन्तु २ मल्लिका ( जूही फूल) अर्थ में मल्लि शब्द स्त्रीलिंग माना गया है ।
मूल :
मल्लिका भूपदीपुष्पे मीन - मृत्पात्रभेदयोः ।
मसिः शेफालिकावृन्त - लेखनद्रव्ययोर्द्वयोः || १४२८॥ महोऽध्वरे च महिषे तेज - उत्सवयोः पुमान् । महाधनं चारुवस्त्रे बहुमूल्ये च वस्तुनि ॥१४२॥
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हिन्दी टोका - मल्लिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. भूपदीपुष्प (छोटी बेला) २. मोन (मछली और ३. मृत्पात्रभेद (मिट्टी का बर्तन विशेष - माली) । मसि शब्द पुल्लिंग तथा स्त्रीलिंग माना जाता है और उसके दो अर्थ माने गये हैं - १. शेफालिकावृन्त ( सिंहरहार फूल का डण्ठल ) और २. लेखनद्रव्य ( स्याही - मसी) । मह शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं - १. अध्वर (यज्ञ) २. महिष, ३. तेज और ४. उत्सव । महाधन शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने गये हैं - १. चारुवस्त्र (उत्तम कपड़ा) और २. बहुमूल्य वस्तु (अधिक कीमत वाली वस्तु) इस प्रकार महाधन शब्द के दो अर्थ समझना चाहिए |
मूल :
महानादो महाशब्दे वर्षाकाम्बुद हस्तिनोः ।
महानीलो भृङ्गराजे मणिनाग - विशेषयोः ।। १४३०।।
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महामुनिर्जिने sगस्त्ये व्यासे तुम्बुरुपादपे । महारसः पारदेक्षु खर्जू रेषु
कशेरुणि ॥१४३१॥
हिन्दी टीका - महानाद शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं- १. महाशब्द ( अत्यन्त विशाल ध्वनि) २. वर्षु काम्बुद (जल बरसाने वाला बादल) और ३. हस्ती (हाथी) । महानील शब्द भी पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं- १. भृङ्गराज, २. मणि और ३. नागविशेष (नाग (सर्प) । महामुनि शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. जिन (जिन भगवान ) २. अगस्त्य ( अगस्त्य मुनि ) ३. व्यास और ४. तुम्बुरुपादप (तुम्बुरु नाम का प्रसिद्ध वृक्ष विशेष ) । महारस शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं - १. पारद (पारा) २. इक्षु (गन्ना, शेर्डी) ३. खर्जूर (खजूर) और ४. कशेरु (केशौर) इस प्रकार महारस शब्द के चार अर्थ समझने चाहिए ।
मूल :
महालयो विहारे स्यात् तीर्थे च परमात्मनि ।
महावीरस्तु गरुड़े हनुमति मखानले ॥१४३२॥ चतुर्विंश जिने सिहे शूरे वज्र धनुर्धरे । महाशङ्खो बृहत्कम्बौ निधिभेदे नरास्थिन || १४३३॥
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