Book Title: Nanarthodaysagar kosha
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Ghasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore

View full book text
Previous | Next

Page 407
________________ ३८८ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-हृदय शब्द औत्सुक्ये स्यात्तु हल्लेखा हल्लेखो ज्ञान-तकयोः । हृषितं वाच्यवल्लिगं प्रणते हृष्टरोमणि ॥२२६३॥ हिन्दी टीका-हृदय शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. मानस (मन) २. वुक्क (गुल्मा-वकपुष्प) और ३. वक्षस् (वक्षस्थल-छाती)। पुल्लिग हृद्य शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. मनोरम (सुन्दर) २. हृञ्ज और ३. हृप्रिय (अत्यन्त प्रिय) किन्तु ४. हृहित (हृदय का हित कारक) अर्थ में हृद्य शब्द त्रिलिंग माना जाता है । १. औत्सुक्य (उत्सुकता उत्कण्ठा) अर्थ में स्त्रीलिंग हल्लेखा शब्द का प्रयोग होता है किन्तु पुल्लिग हल्लेख शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. ज्ञान और २. तर्क । हृषित शब्द १. प्रणत और २. हृष्टरोम (रोमाञ्च युक्त) अर्थ में वाच्यवल्लिग (विशेष्यनिघ्न) माना जाता है। मूल : वमिते विस्मृते प्रीते प्रहतेऽपि बुधैः स्मृतम् । हृष्ट स्त्रिषु प्रतिहते जातहर्षे च विस्मिते ॥२२६४॥ रोमाञ्चितेऽपहसित . प्रीतयोरप्युदाहृतः । विहेठे बाधायां हृष्टि: स्त्री मानहर्षयोः ॥२२६५।। हिन्दी टीका-हृषित 'शब्द के और भी चार अर्थ पाने गये-१. वमित (कवच से आच्छादित) २. विस्मृत (भूला हुआ) ३. प्रीत (प्रसन्न)। हृष्ट शब्द त्रिलिंग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं१. प्रतिहत और २. जातहर्ष (उत्पन्न हर्ष वाला) तथा ३. विस्मित (विस्मय युक्त) एवं ४. रोमाञ्चित (रोमाञ्च युक्त) ५. अपहसित और ६. प्रीत (प्रसन्न) । हेठ शब्द के दो अर्थ होते हैं--१. विहेठ (विशेष हठ वाला) और २. बाधा। हृष्टि शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी दो अर्थ बतलाये जाते हैं-१. मा (आदर) २. हर्ष (आनन्द) को भी दृष्टि कहते हैं। इस प्रकार हष्टि शब्द के दो अर्थ जानना चाहिये। मूल : हेति: स्त्री सर्यकिरणे तेजोमात्रे च साधने । अस्त्रे बह्निशिखायां च कौशिकः परिदर्शिता ॥२२६६।। हेम धुस्तूर- किजल्क-काञ्चनेषु हिमेऽपि च । हेम: स्यात् कृष्णवर्णाश्वे बुध-माषकमानयोः ।।२२६७।। हिन्दी टोका-हेति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ कोशिकाचार्य ने बतलाये हैं१. सूर्यकिरण, २. तेजोमात्र, ३. साधन, ४. अस्त्र और ५. बह्निशिखा (आग की ज्वाला)। नकारान्त नपुंसक हेम शब्द के चार अर्थ माने गये हैं-१. धुस्तूर (धतूर) २. किजल्क (केशर या कमल वगैरह का मध्य भाग स्थित पराग या पुष्प रेण) और ३. काञ्चन (सोना) और . हिम (वर्फ)। पुल्लिग हेम शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. कृष्णवर्णाश्व (काला वर्ण वाला घोडा) और २. बुध तथा ३. माषकमान (पांच आना भर) को भी हेम कहते हैं। इस प्रकार हेम शब्द के सात अर्थ जानना। मूल : हेरम्बो महिषे शौर्यगविते गणनायके । अथ हैमवती गौरी-गंगा-श्वेतवचासु च ॥२२६८।। रेणुका-कपिलद्राक्षा:स्वर्ण क्षीरी - क्षमास्वपि । हरीतक्यामथो होत्रं होमे हविषि कीर्तितम् ॥२२६६।। हिन्दी टोका-हेरम्ब शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. महिष (भैंस) २. शौर्यगर्वित (घमण्डी शूर) और ३. गणनायक (गणेश)। हैमवती शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी तीन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 405 406 407 408 409 410 411 412