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मूल :
३६२ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-लंघन शब्द
क्षेमोऽस्त्री कुशले मोशे लब्धस्य परिरक्षणे ।
क्षेमं मठान्तर - प्लक्षद्वीपवर्ष - विशेषयोः ॥२२८६।। हिन्दी टोका-लंघन शब्द के पाँच अर्थ माने जाते हैं-१. प्रेरणा (प्रेरणा करना) २. गुच्छ (गुम्छा) ३. लेपन (लेप करना) ४. गर्व (घमण्ड करना) और ५ हेला (विलास या अवहेलना)। क्षेपण शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं--१. यापन (समय बिताना) २. यन्त्र विशेष और ३. प्रेरण । क्षेम शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक है और उसके भी तीन अर्थ होते हैं -- १. कुशल २. मोक्ष और ३. लब्धस्यपरिरक्षण (लब्ध का परिरक्षण करना)। नपुंसक क्षेम शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. मठान्तर (मठ विशेष) और २. प्लक्षद्वीप बर्ष विशेष (प्लक्ष द्वीप नाम का देश विशेष) को भी क्षेम कहते हैं ।
क्षोदः स्याद् पेषणे चूर्णे रजस्यपि पुमानतः । क्षोभः संचलने चित्तचाञ्चल्ये क्षोभणे पुमान् ॥२२६०।। क्षोद्रंमधुनि पानीये क्षौद्रश्चम्पकपादपे ।
वर्णसंकरभेदे च क्षुद्रतायामपीष्यते ॥२२६१।। हिन्दी टीका-क्षोद शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. पेषण (पीसना) २. चूर्ण और ३. रज (धूलि)। क्षोभ शब्द भी पुल्लिग है और उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं१. संचलन (संचलित-विचलित होना) २. चित्तचाञ्चल्य (चित्त की चञ्चलता) और ३. क्षोभण (क्षुब्ध होना) । नपुंसक क्षौद्र शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. मधु (शहद) और २. पानीय (जल) पुल्लिग क्षौद्र शब्द का अर्थ-१. चम्पकपादप (चम्पक पुष्प का वृक्ष) होता है। इसी प्रकार पुल्लिग क्षौद्र शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं-१. वर्णसंकरभेद (वर्णसंकर विशेष) और २. क्षुद्रता (हलकापन)।
क्षौद्रेयं सिक्यके क्लीवं क्षौद्र सम्बन्धिनि त्रिषु । क्षौमोऽस्त्री स्याद् दुकूलेऽहऽतसीजे शणजे पटे ।।२२६२॥ क्ष्वेडः कर्णामये पीत घोषावृक्षे विषेध्वनौ । वायलिंगस्त्वसौ ज्ञयः कुटिले च दुरासदे ॥२२६३।। क्ष्वेडा कोषातकी-सिंह नादयोर्भणिता स्त्रियाम् ।
समाप्तः खलु ग्रन्थोऽयं नानार्थोदयसागरः ॥२२६४॥ हिन्दी टीका-क्षौद्रय शब्द १. सिक्यक (सीक) अर्थ में नपुंसक माना जाता है किन्तु २. क्षौद्रसम्बन्धी अर्थ में त्रिलिंग माना गया है । क्षोम शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. दुकूल (चादर-दुपट्टा) और २. अट्ट (हाट-बाजार दुकान) और ३. अतसीज (अलसी-तीसी से उत्पन्न) और ४. शणज (शण से उत्पन्न) पट (वस्त्र-कपड़ा) भी क्षौम शब्द का अर्थ होता है। क्ष्वेड शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं --१. कर्णाऽऽमय (कान का आमय रोग) और २. पीतघोषावृक्ष (पीत घोषा का वृक्ष) और ३ विष (जहर) तथा ४. ध्वनि किन्तु ५. कुटिल (खल) अर्थ में और ६. दुरासद (दुर्लभ) अर्थ में क्ष्वेड शब्द वाच्य लिंग (विशेष्यनिघ्न) माना जाता है। स्त्रीलिंग क्ष्वेडा शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. कोषातकी (गलका, नेनुआ, घेड़ा) और २. सिंहनाद (सिंह का गर्जन) इस प्रकार नानार्थोदय सागर नाम का कोश समाप्त हो गया।
॥ नानार्थोदयसागर कोष समाप्त ।
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