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नानाथोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-हिम शब्द | ३८७ चन्दने नवनीते च क्लीवं शीते तु वाच्यवत् । हिमश्चन्द्रे च कर्पूरे हेमन्ते चन्दनद्रुमे ॥२२५६॥ हिमजा क्षीरणी-गौरी-शटीषु कथिता स्त्रियाम् ।
हिमा नागरमुस्तायां सूक्ष्मैला-भद्र मुस्तयोः ॥२२५७॥ हिन्दी टीका-नपुंसक हिम शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं- १. चन्दन, २. नवनीत (मक्खन) किन्तु ३. शीत अर्थ में हिम शब्द वाच्यवत् (विशेष्यनिघ्न) माना जाता है परन्तु पुल्लिग हिम शब्द के भी चार अर्थ और भी माने जाते हैं-१. चन्द्र, २. कपूर, ३. हेमन्त (हेमन्त ऋतु) और ४. चन्दनद्रुम (चन्दन का वृक्ष)। हिमजा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. क्षोरणी (खिरनी) २. गौरी (पार्वती) और ३. शटी (आमा हल्दी)। हिमा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं-१. नागरमुस्ता (नागरमोथा) २. सूक्ष्मएला (छोटी इलाइची) और ३. भद्रमुस्ता (जलमोथा) को भी हिमा कहते हैं ।
पृक्कायां चणिकायां चरेणुकायामपि स्त्रियाम् । हिरण्यं काञ्चने वित्ते धुस्तूरे च वराटके ॥२२५८॥ अक्षये मानभेदे च रजताऽकुप्ययोरपि ।
हिरण्यगर्भः श्रीविष्णौ प्राणात्मनि चतुर्मुखे ॥२२५६।। हिन्दी टीका-हिमा शब्द के और भी तीन अर्थ माने जाते हैं-१. पृक्का (स्पृक्का-असवरगअस्यरग-एक प्रकार का शाक विशेष) २. चणिका (चना वगैरह) और ३. रेणुका (रेणु वगैरह)। हिरण्य शब्द नपुंसक है और उसके आठ अर्थ माने जाते हैं-१. काञ्चन (सोना) २. वित्त (धन) ३. धुस्तूर (धतूर) ३. बराटक (कौड़ी) ५. अक्षय (क्षयरहित) ६. मानभेद (मानविशेष-परिमाण विशेष) ७. रजत (चांदी) तथा ८. अकूप्य (अमूल्य महार्घ्य धन वित्त विशेष)। हिरण्यगर्भ शब्द के तीन अर्थ बतलाये गये हैं१. श्रीविष्ण (भगवान श्रीविष्ण ) २. प्राणात्मा (सूक्ष्म शरीर समष्ट्युपहित चैतन्य) तथा ३. चतुर्मुख (ब्रह्मा-प्रजापति) को भी हिरण्यगर्भ कहते हैं। मूल : हिरण्यरेताः सूर्येऽग्नौ शंकरे चित्रकद्रुमे ।
हीन स्त्रिष्वधमे गर्खे रहिते प्रतिवादिनि ॥२२६०॥ हुडुक्को मदमत्ते स्याद् दात्यूह-वाद्यभेदयोः ।
हुण्डः स्याद् राक्षसे व्याघ्र वालिशे ग्राम्यशूकरे ॥२२६१॥ हिन्दी टोका-हिरण्यरेतस् शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं -१. सूर्य, २. अग्नि ३. शंकर और ४. चित्रकद्र म (चीता नाम का वृक्ष विशेष)। हीन शब्द त्रिलिंग है और उसके भी चार अर्थ होते हैं- १. अधम (नीच) २. गद्य (निंद्य) ३. रहित और ४. प्रतिवादी। हुडुक्क शब्द के तोन अर्थ माने जाते हैं---१. मदमत्त (उन्मत्त मतवाला) २ दात्यूह (जल कौआ, धुंये से रंग वाला कौआ-कारकोआ) और ३. वाद्यभेद (वाद्य विशेष) । हुण्ड शब्द के चार अर्थ माने जाते है-१. राक्षस, २. व्याघ्र (बाघ) और ३. बालिश (मूर्ख) और ४. ग्राम्य शूकर (ग्रामीण शूकर) को भी हुण्ड कहते हैं । मूल: हृदयं मानसे वृक्के वक्षस्यापि प्रकीर्तितम् ।
हृद्यो मनोरमे हजे हृप्रिये हृहिते त्रिषु ॥२२६२।।
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