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३१२ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित–वेला शब्द मूल : अक्लिष्टमरणे वाचि रोगे रागे बुधस्त्रियाम् ।
अब्ध्यम्बुविकृतौ सिन्धुकूले चेश्वरभोजने ॥१७६१।। वेल्लमस्त्री विडङ्ग स्याद् गमने तु पुमानसौ।
वेल्लनं लुण्ठनेऽश्वादे रोढी निर्माण दारुणि ॥१७६२॥ हिन्दी टोका--वेला शब्द के आठ अर्थ माने जाते हैं-१. अक्लिष्टमरण (बिना क्लेश का अनायास मरण) २. वाक् (वाणी) ३. रोग, ४. राग, ५. बुधस्त्री (बुध की धर्मपत्नी) ६. अब्ध्यम्बुविकृति (समुद्र के जल का विकार) ७. सिन्धुकूल (नदी या समुद्र का तट) और ८. ईश्वरभोजन को भी वेला कहते हैं। पुल्लिग तथा नपुंसक वेल्ल शब्द का अर्थ - १. विडङ्ग (वायविडङ्ग) होता है और २. गमन अर्थ में वेल्ल शब्द पुल्लिग माना जाता है । वेल्लन शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१. अश्वादेःलुण्ठन घोड़ा वगैरह का लोटन और २. रोढीनिर्माणदारु (रोढी का निर्माण को लकड़ी स्थूल गोलाकार काष्ठ विशेष --बेलन)। इस प्रकार वेल्लन शब्द के दो अर्थ जानना। मूल : वेल्लितं गमने क्लीवं कुटिले कम्पिते त्रिषु ।
• वेशः प्रवेशे नेपथ्ये वेश्यावश्मनि सद्मनि ॥१७६३॥ वेशको भवने पुंसि त्रिलिंगो वेशकारके ।
वेशन्तः पल्वले वह्नौ वेशरोऽश्वतरेऽपि च ॥१७६४।। हिन्दी टोका-वेल्लित शब्द-१. गमन अर्थ में नपुंसक है और २. कुटिल (खल दुष्ट) और ३ कम्पित अर्थ में त्रिलिंग माना जाता है। वेश शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. प्रवेश, २. नेपथ्य (वंशभूषा-पोशाक) ३. वेश्यावेश्म (वेश्या का घर-रण्डीखाना) और ४ सद्म (घर) । वेशक शब्द-१. भवन अर्थ में पुल्लिग माना जाता है और २. वेशकारक (वेषभूषा पोशाक करने वाला) अर्थ में त्रिलिंग माना जाता है । वेशन्त शब्द का अर्थ - १. पल्वल (खबोचिया खट्टा) होता है । १. वह्नि (अग्नि) और २. अश्वतर (खच्चर) अर्थ में वेशर शब्द का प्रयोग होता है। मूल : वेष्ट: श्रीवेष्ट-निर्यास - वेष्टनेषु निगद्यते ।
वेष्टनं कर्णशष्कुल्यां गुग्गुलौ मुकुटे वृतौ ॥१७६५।। उष्णीषेऽप्यथ रुद्ध स्याद् वेष्टितं करणान्तरे ।
नैकुण्ठस्तु हृषीकेशे विडोजसि सितार्जके ॥१७६६।। हिन्दी टीका-वेष्ट शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. श्रीवेष्ट (सरल देवदारु वृक्ष के गोंद से बने हुए सुगन्ध द्रव्य विशेष) २. निर्यास (गोंद) और ३. वेष्टन (लपेटना)। वेष्टन शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. कर्णशष्कुलि (कान) २. गुग्गुलु (गूगल) ३. मुकुट (किरीट वगैरह) और ४. वति (घेराव) । वेष्टन शब्द का और भी एक अर्थ होता है--१. उष्णीष (पगडी) । वेष्टित शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. रुद्ध (रोका हुआ) और २. करणान्तर (करण विशेष वगैरह)। वैकुण्ठ शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं -१. हृषीकेश (भगवान विष्णु) २. विडोजा (इन्द्र) और ३. सितार्जक (सफेद अर्जक-वबई) ।
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