Book Title: Nanarthodaysagar kosha
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Ghasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore

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Page 396
________________ मूल : मूल : नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-सुग्रीव शब्द | ३७७ , तीर्थकर का पिता) और ४. असुर (राक्षस) ५. राजहंस, ६. अस्त्रभेद (अस्त्र विशेष) और ७. नाग विशेष (शेषनाग वगैरह सर्प विशेष) तथा ८. शैल विशेष (पर्वत विशेष) को भी सुग्रीव कहा जाता है । वानराधिपतौ विष्णु रथाश्वे च पुमान् मतः ।। वायलिंगस्त्वसौ चारुग्रीवाशालिनिसंमतः ॥२१६२।। सुतीक्ष्णः श्वेतशिग्रौ ना मुनौ शोभाञ्जने खरे। सुदर्शनो विष्णुचक्र' सुमेरौ जम्बुपादपे ॥२१६३॥ हिन्दो टोका-पूल्लिग सुग्रीव शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं-१. वानराधिपति (वानरों का अधिपति राजा सुग्रीव) और २. विष्णुरथाश्व (भगवान् विष्णु के रथ का घोड़ा) किन्तु ३. चारुग्रीवाशाली (सुन्दर ग्रीवा-गरदन-गला से युक्त) अर्थ में सुग्रीव शब्द वायलिंग (विशेष्यनिघ्न) माना जाता है। सुतीक्ष्ण शब्द १. श्वेतशिग्रु (सफेद-सहिजन सफेद-मुनिगा) और २. शोभाञ्जन (सुरमा) और ३. खर (तीक्ष्ण) । इन तीनों अर्थों में पुल्लिग माना गया है। सुदर्शन शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. विष्णु चक्र (भगवान् विष्णु का चक्र-सुदर्शन नाम का चक्र) और २. सुमेरु (सुमेरु पर्वत) तथा ३. जम्बुपादप (जामुन का वृक्ष) को भी सुदर्शन कहते हैं। जिनानां बलदेवे च वृत्तार्हज्जनके पुमान् । असौ तु वाच्यवल्लिगः सुदृश्ये संमतः समाम् ॥२१६४॥ सुदर्शना सोमवल्ल्यामाज्ञायामौषधान्तरे । सुदामास्यात्पुमान् मेघे गोपभेद - समुद्रयोः ॥२१६५।। हिन्दी टीका-पुल्लिग सुदर्शन शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं-१. जिनानां बलदेव (भगवान तीर्थंकरों का बलदेव) और २. वृत्ताहज्जनक (व्यतीत तीर्थकर का पिता) को भी सुदर्शन कहते हैं किन्तु ३. सुदृश्य (अत्यन्त दर्शन योग्य) अर्थ में सुदर्शन शब्द वाच्यलिंग (विशेष्यनिघ्न) माना गया है। स्त्रीलिंग सुदर्शना शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. सोमवल्ली (सोमलता) २. आज्ञा और ३. औषधान्तर (औषध विशेष सुदर्शन नाम का चूर्ण विशेष)। सुदामा शब्द नकारान्त पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. मेघ (बादल) २. गोपभेद (गोप विशेष) और ३. समुद्र को भी सुदामा कहते हैं। ऐरावते च श्रीकृष्णशरणप्राप्त ब्राह्मणे । सुधा गंगा-स्नुही-मूर्वा-धात्री च सलिलेऽमृते ॥२१६६॥ सुन्दरो ना स्मरे वृक्षभेदे त्रिषु तु मञ्जुले। सुन्दरी स्याद् हरिद्रायां स्त्रीविशेषे द्रुमान्तरे ॥२१६७॥ हिन्दी टीका--नकारान्त सुदामा शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं-१ ऐरावत (ऐरावत नाम का हाथी) और २. श्रीकृष्णशरणप्राप्तब्राह्मण (भगवान् श्रीकृष्ण के शरण में आये हुए ब्राह्मणभगवान् कृष्ण के मित्र) । सुधा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं-१. गंगा (गंगा नाम की प्रसिद्ध नदी विशेष) २. स्नुही (सेंहुड) ३. मूर्वा (धनुष के लिये उपयोगी लता विशेष वगैरह) और ४. धात्री (आँवला) ५. सलिल (जल) और ६. अमृत (पीयूष) को भी सुधा कहते हैं। पुल्लिग सुन्दर शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. स्मर (कामदेव) और २. वृक्षभेद (वृक्ष विशेष) किन्तु ३. मञ्जुल (रमणीय) अर्थ में मूल : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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