Book Title: Nanarthodaysagar kosha
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Ghasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore

View full book text
Previous | Next

Page 403
________________ ३८४ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित -सौरभ शब्द हिन्दी टीका-सौरभ शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. कुकुम (सिन्दूर) २. बोल (गन्धरस) और ३. सद्गन्ध (सुगन्ध) । स्कन्ध शब्द के छह अर्थ होते हैं-१. काय (शरीर) २. समूह, ३. अंश (एक देश) ४. प्रकाण्ड (धुरन्धर या शाखा प्रशाखा) ५. नृपति (राजा) और ६. रण (संग्राम)। स्तनन शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. कुन्थित (कथित) २. मेघगजित (मेघ गर्जन) और ३. ध्वनिमात्र (ध्वन्यात्मक शब्द) । स्तनयित्नु शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. मेघ (बादल) २. मुस्तक (मोथा) ३. मृत्यु और ४. रोग (व्याधि) इस प्रकार स्तनयित्नु शब्द के चार अर्थ जानना चाहिये । मूल : स्तनितं मेघ निर्घोषे करतालिध्वनावपि । स्तम्बः प्रकाण्ड रहितद्रुमे गुच्छे तृणादिनः ।।२२३८॥ स्तबको गुच्छके ग्रन्थ परिच्छेदे चये स्तुतौ । स्तोमः स्तबे समूहे च सप्ततन्तावपीष्यते ।।२२३६।। हिन्दी टीका-स्तनित शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-१. मेघनिर्घोष (बादल का गर्जन) और २. करतालिध्वनि (हाथ के द्वारा ताली बजाने से उत्पन्न ध्वनि विशेष) को भी स्तनित कहते हैं। स्तम्ब शब्द के भी दो अर्थ माने गये हैं-१. प्रकाण्डरहित म (शाखा प्रशाखा-डालों से रहित वृक्ष विशेष) और २. तृणादि गुच्छ (घास वगैरह का गुच्छा)। स्तबक शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. गुच्छक (गुच्छा) २. ग्रन्थ परिच्छेद (ग्रन्थ का एक परिच्छेद-प्रकरण) ३. चय (समूह) और ४. स्तुति । स्तोम शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. स्तव (स्तुति) २. समूह और ३. सप्ततन्तु (सात तन्तु)। स्यानं स्निग्धे प्रतिध्वाने घनताऽऽलस्ययोरपि । स्थानं स्यान्निकटे ग्रन्थ सन्धौ स्थित्यवकाशयोः ।।२२४०॥ सन्निवेशे च सादृश्ये वसतौ भाजने स्थितौ। स्थानेऽव्ययं कारणार्थे सत्ये सादृश्ययोग्ययोः ।।२२४१॥ हिन्दी टोका-स्यान शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं-१. स्निग्ध (चिक्कण) २. प्रतिध्वान (प्रति ध्वनि) ३. घनता (निविडता सघनता) और ४. आलस्य । नपुंसक स्थान शब्द के आठ अर्थ माने जाते हैं- १. निकट (समीप) २. ग्रन्थ सन्धि (ग्रन्थ की सन्धि जोड़) और ३. स्थित तथा ४. अवकाश, ५. सन्निवेश, ६. सादृश्य (सरखापन) ७. वसति (आवास) ८. भाजन पात्र) किन्तु स्थिति अर्थ में स्थान शब्द अव्यय माना जाता है और ६. स्थान अर्थ में भी स्थान शब्द अव्यय ही जानना चाहिये । इसी प्रकार १०. कारणार्थ (कारण अर्थ में) और ११. सत्य अर्थ में तथा १२. सादृश्य अर्थ में एवं १३. योग्य अर्थ में भी स्थान शब्द अव्यय ही समझना।। मूल : स्थितिः स्त्री धारणायां स्याद् अवस्थाने छ सीमनि । स्थिरः पुंसि सुरे शैले कार्तिकेये द्रुमे शनौ ॥२२४२॥ स्थिरदंष्ट्रो ध्वनौ सर्प वराहाकृतिमाधवे । स्थेयो विवादपक्षस्य निर्णेतरि पुरोधसि ॥२२४३॥ हिन्दी टीका-स्थिति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. धारणा (धारण करना) और २. अवस्थान (स्थिर होना) तथा ३. सीमा (हद)। स्थिर शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच मूल : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412