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३२६ | नानार्थोदयसागर कोष: हिन्दी टीका सहित - शम्बल शब्द
मूल :
पाथेयेऽन्य शुभद्वेषे कूले च शम्बलोऽस्त्रियाम् । शम्बूको ना दैत्यभेदे शूद्रतापस- शंखयोः ॥। १८७७॥ गजकुम्भान्तरेऽथ स्त्रीपुंसयो शुक्तिषु । शम्भुर्ना शंकरे विष्णौ विरिञ्चौ बुद्ध-सिद्धयोः ।।१८७८ || शम्भुप्रिया तु पार्वत्या मामलक्यामपि स्मृतः । कार्तिकेये गणेशे च कीर्तितः शम्भुनन्दनः || १८७६ ॥
हिन्दी टीका - शम्बल शब्द पुल्लिंग तथा नपुंसक है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. पाथेय ( रास्ते का भोजन ) २. अन्यशुभद्वेष (दूसरे के कल्याण का द्वेष करना) और ३. कूल (तट किनारा) । शम्बूक शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं - १. दैत्यभेद ( दैत्य विशेष) २. शूद्रतापस ( शम्बूक नाम का शूद्रतापस ) ३. शंख और ४ गजकुम्भान्तर (हाथी का मस्तक) किन्तु ५. जल और शुक्ति (सितुआ) अर्थ में शम्बूक शब्द पुल्लिंग तथा स्त्रीलिंग माना गया है । शम्भु शब्द के पाँच अर्थ होते हैं - १. शंकर, २. विष्णु ३. विरञ्चि (ब्रह्मा) ४. बुद्ध तथा ५. सिद्धमुनि । शम्भुप्रिया शब्द के दो अर्थ होते हैं - १. पार्वती और २. आमलकी (आँवला) । शम्भुनन्दन शब्द के भी दो अर्थ होते हैं - १. कार्तिकेय और २. गणेश । इस प्रकार शम्भुनन्दन शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं ।
मूल :
शयो भुजंगे शय्यायां निद्रायां पणहस्तयोः ।
शयथ स्त्रिषु निद्रालौ पुमान् अजगरे मृतौ ॥१८८०॥
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शयनं मैथुन स्वापे शय्यायामपि कीर्तितम् । शयनीयं तु शय्यायां शयनार्ह त्वसौ त्रिषु ॥ १८८१ ॥
हिन्दी टीका - शय शब्द पुल्लिंग है और उसके पाँच अर्थ माने गये हैं- भुजंग (सर्प) २ शय्या ( चारपाई वगैरह ) ३. निद्रा (नींद) और ४. पण (पैसा) तथा ५ हस्त (हाथ) । त्रिलिंग शयथ शब्द का अर्थ - १. निद्रालु (निद्राशील) होता है किन्तु २. अजगर (सर्प विशेष) और ३. मृति ( मरण) अर्थ में शयथ शब्द पुल्लिंग माना गया है । शयन शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं - १. मैथुन ( विषय भोग ) २. स्वाप (शयन) और ३. शय्या ( पलंग वगैरह ) । शयनीय शब्द १. शय्या अर्थ में नपुंसक माना गया है। किन्तु २. शयनार्ह ( शयन करने योग्य) अर्थ में शयनीय शब्द त्रिलिंग माना जाता है ।
मूल :
शयानकस्त्वजगरे कृकलासे च कीर्तितः ।
शयालु स्त्रिषु निद्रालौ शयित स्त्रिषु निद्राणे
कुकरेऽजगरे पुमान् ॥१८८२ ॥ वसन्तकुसुमे पुमान् ।
शयने तु स्मृतं क्लीवमथ क्लीवं शरं जले || १८८३ ॥
हिन्दी टीका - शयानक शब्द के दो अर्थ होते हैं - १. अजगर (सर्प विशेष) और २. कृकलास ( गिरगिट ) । शयालु शब्द १. निद्रालु (निद्राशील) और २. कुकर (टेढ़े हाथ वाले ) अर्थ में त्रिलिंग माना गया है किन्तु ३. अजगर (सर्प विशेष) अर्थ में शयालु शब्द पुल्लिंग है । शयित शब्द १. निद्राण (सोता
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