Book Title: Nanarthodaysagar kosha
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Ghasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore

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Page 393
________________ ३७४ | नानार्थोदयसागर कोष हिन्दी टीका सहित --सार शब्द १. कारणवात (कारण समूह) और २. द्रव्य । पुल्लिंग साय शब्द के दो अर्थ माने गये हैं- १. दिनान्त (दिन का अन्त भाग, सायंकाल) और २. बाण, किन्तु १. सायान्ह (सायंकाल ) अर्थ में साथ शब्द अव्यय माना जाता है, इस प्रकार साथ शब्द के तीन अर्थ समझने चाहिए । मूल : सारं न्याय्ये जले लौहे नवनीते वने धने । सारो दध्युत्तरे वायौ पाशकेऽतिदृढे बले ॥ २१७४॥ वज्रक्षारे स्थिरांशे च रुजायां मज्जिना स्मृतः । सारङ्गश्चातके भृंगे राजहंसे मतङ्गजे ।।२१७५ ।। हिन्दी टीका - नपुंसक सार शब्द के छह अर्थ माने गये हैं - १. न्याय्य ( न्याय युक्त) २. जल ३. लौह (लोहा) ४ नवनीत (मक्खन) ५. वन और ६. धन किन्तु पुल्लिंग सार शब्द के पांच अर्थ बतलाये गये हैं - १. दध्युत्तर (मलाई ) २. वायु ३. पाशक (पाश) ४. अतिदृढ़ ( अत्यन्त मजबूत ) और ५. बल (सामर्थ्य शक्ति ताकत) । पुल्लिंग सार शब्द के और भी चार अर्थ माने जाते हैं - १. वज्रक्षार २. स्थिरांश (स्थिर भाग) ३. रुजा (रोग) और ४ मज्जन् ( लकड़ी का सारिल भाग ) । सारङ्ग शब्द के भी चार अर्थ होते हैं - १. चातक ( चातक पक्षी) २. भृंग (भ्रमर) ३. राजहंस और ४. मतङ्गज (हाथी) इस प्रकार सारङ्ग शब्द के चार अर्थ समझने चाहिए । मूल : मयूरे हरि सिंहे सुवर्णे चन्दने कचे । चापे चित्रमृगे वाद्यविशेषे च विभूषणे ।।२१७६ ।। कोकिले कमले पुष्पे छत्रे शंखे घनेंऽशुके । सारस्वतः कल्प - देशभेदे व्याकरणान्तरे ॥ २१७७।। ८. हिन्दी टीका-सारङ्ग शब्द के और भी दश अर्थ बतलाये गये हैं - १. मयूर (मोर) २. हरिण ३. सिंह, ४. सुवर्ण (सोना) ५. चन्दन ६. कच (केश) ७. चाप (धनुष) चित्रमृग (चितकबरा हरिण ) ६. वाद्यविशेष (सारङ्गी) तथा १०. विभूषण । सारङ्ग शब्द के और भी सात अर्थ माने गये हैं- १. कोकिल (कोयल) २. कमल, ३. पुष्प (फूल) ४. छत्र (छाता) ५. शंख ६. धन (मेघ) और ७ अंशुक (वस्त्र विशेष ) । सारस्वत शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं - १. कल्पभेद (कल्प विशेष, वेशभूषा वगैरह ) २. देशभेद (देश विशेष-- सारस्वत देश) तथा ३. व्याकरणान्तर ( व्याकरण विशेष - सारस्वत व्याकरण) को भी सारस्वत कहते हैं । मूल : Jain Education International सारी स्त्री सारिकायां स्यात् सप्तलायां च पाशके । सार्थः समूहमात्रे स्यात् जन्तुसंघे वणिग्वजे ॥ २१७८ ॥ सार्वो बुद्धे जिने पुंसि सर्व सम्बन्धिनि त्रिषु । सालो रातरौ सर्जे मत्स्य प्राकारयोः पुमान् ॥२१७६ ॥ हिन्दी टीका - सारी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. सारिका (मैना) और २. सप्तला (नवमालिका वगैरह ) तथा ३. पाशक (पाशा - गोटी) । सार्थ शब्द के भी तीन अर्थ माने जाते हैं—१. समूहमात्र २. जन्तुसंघ (प्राणियों का झुण्ड ) और ३. वणिग्वज (बनिया का समूह ) । पुल्लिंग सार्व For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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