Book Title: Nanarthodaysagar kosha
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Ghasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore

View full book text
Previous | Next

Page 388
________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - संप्रयोगी शब्द | ३६६ सम्बद्धस्त्रिषु सम्पर्के बद्ध-सम्बन्धयुक्तयोः । सम्बन्धो न्यायसम्पर्क समृद्धिषु निगद्यते ॥२१४३॥ Jain Education International - हिन्दी टीका - संप्रयोगी शब्द नकारान्त पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं१. कलाकेलि (केलि कलाकौशल) २. कामुक ( विषय लम्पट) और ३. संप्रयोजक (संप्रयोग करने वाला) । सम्प्रहार शब्द भी पुल्लिंग है और उसके भी तीन अर्थ होते हैं - १. गमन ( जाना) २. संग्राम (युद्ध) और ३. हनन (वध-मारना) । त्रिलिंग सम्बद्ध शब्द के भी तीन अर्थ माने जाते हैं - १. सम्पर्क, २. बद्ध (बँधा हुआ) और ३. सम्बन्धयुक्त (सम्बन्धी ) । सम्बन्ध शब्द भी पुल्लिंग है और उसके भी तीन अर्थ म हैं - १. न्याय, २. सम्पर्क और ३. समृद्धि (सम्पत्ति ) । मूल : विशेषयोः । सम्बरं संयमे नीर - बौद्धव्रत भेदे दैत्यस्य मीनस्य हरिणस्य च पुंस्ययम् ॥२१४४॥ सेतौ शैलान्तरे भावितीर्थकृत्यपि कीर्तितः । आखुप शतावर्यां सम्बरी स्त्री प्रकीर्तिता ॥ २१४५॥ हिन्दी टीका - नपुंसक सम्बर शब्द के तीन अर्थ होते हैं - १. संयम २. नीर (जल) ३. बौद्धव्रतविशेष और पुल्लिंग सम्बर शब्द के भी तीन अर्थ माने गये हैं - १. दैत्यभेद ( दैत्य विशेष ) २. मीनभेद ( मीन विशेष) और ३. हरिणभेद (हरिण विशेष ) । पुल्लिंग सम्बर शब्द के ओर भी तीन अर्थ होते हैं१. सेतु (बाँध) २. शैलान्तर (शैल विशेष) और ३. भावितीर्थंकृत् (भावी तीर्थङ्कर) । स्त्रीलिंग सम्ब शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-- १. आखपर्णी (आखुपर्णी नाम की लता विशेष) और २. शतावरी (शतावर ) । इस प्रकार सम्बर शब्द के कुल मिलाकर ग्यारह अर्थ जानना । मूल : सम्बलं सलिले क्लीवं पाथेये सम्बलोऽस्त्रियाम् । संबाधः संकटे भीतौभगे नरकवर्त्मनि ॥ २१४६॥ सम्बाधनं स्मरद्वारे शूलाग्र - द्वारपालयोः । सम्भवो मेलकेऽपाये संकेतोत्पत्ति-हेतुषु ॥ २१४७॥ हिन्दी टीका - १. सलिल (पानी) अर्थ में सम्बल शब्द नपुंसक माना जाता है और २. पाथेय अर्थ में सम्बल शब्द पुल्लिंग तथा नपुंसक माना जाता है। पुल्लिंग संबाध शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं - १. संकट २. भीति (भय) ३. भग (योनि) और ४. नरकवर्त्म ( नरक का रास्ता ) । नपुंसक संबाधन शब्द के तीन अर्थ होते हैं - १. स्मरद्वार (कामदेव का द्वार) ३. शूलाग्र (शूल का अग्र भाग) तथा ३० द्वारपाल । सम्भव शब्द के पाँच अर्थ माने जाते हैं - १. मेलक (मेल कराने वाला) २. अपाय (नाश) ३. संकेत ४. उत्पत्ति तथा ५. हेतु (कारण) इस प्रकार सम्भव शब्द के पाँच अर्थ जानना । आधारानतिरिक्तत्व आधेयस्य जिनान्तरे । सम्भावः सर्व पूर्णत्वे सम्भूति- समवाययोः ॥ २१४८ ॥ स्फुटने मेलने प्रोक्तः सम्भेद: सिन्धु संगमे । सम्भोगः सुरते भोगे प्रमोदे केलि नागरे ॥ २१४६॥ मूल : For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412