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मूल :
३४. | नानार्थोदयसागर कोष :हिन्दी टीका सहित-शीकर शब्द है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. सभ्य, २. शान्त, ३. सुबुद्धि (बुद्धिमान) और ४. धीर । शिक्षा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. वेदाङ्ग भेद (वेदाङ्ग विशेष-व्याकरणादि षड् वेदाङ्गों में शिक्षा नाम का वेदाङ्ग) २. शिक्षण और ३. शोणकद्र म (शोणक नाम का प्रसिद्ध वृक्ष विशेष)। शिक्षित शब्द त्रिलिंग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१. निष्णात (पारंगत) और २. शिक्षायुक्त (शिक्षित पढ़ा लिखा मनुष्य)।
शीकरो मारुते वायुप्रेरिताम्बुकणासु च। शीघ्र लामज्जके तूर्णे शीघ्रगो नाऽनिले हये ।।१६६२।। असौ वाच्यवदाख्यातस्त्वविलम्बित गामिनि ।
शीतं हिमगुणे नीरे त्वचेऽपि क्लीवमीरितम् ॥१९६३॥ हिन्दी टोका-शीकर शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं- १. मारुत (पवन) और २. वायु प्रेरिताम्बुकण (पवन के द्वारा उड़ाया गया जल कण)। शीघ्र शब्द के भी दो अर्थ होते हैं - १. लामज्जक (खश) और २. तूर्ण (जल्दी)। शीघ्रग शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं१. अनिल (पवन) और २. हयं (घोड़ा) किन्तु ३. अविलम्बितगामी (शोघ्र जाने वाला) अर्थ में शीघ्रग शब्द वाच्यवत् विशेष्यनिघ्न त्रिलिंग माना गया है। नपुंसक शीत शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं१. हिमगुण (शैत्य ठण्डक) २. नीर (पानी) और ३. त्वच (त्वचा) किन्तु पुल्लिग शीत शब्द के दस अर्थ आगे कहे जायेंगे।
शीतो ना पर्पटे निम्बे कर्पू रे बहुवारके । वेतसेऽशनपर्यों च हेमन्तेऽपि प्रकीर्तितः ॥१६६४॥ वाच्यवतूदितः सद्भिः शीतले क्वथितेऽलसे ।
शीतक: सुस्थिते शीतसमये दीर्घसूत्रिणि ॥१६६५।। हिन्दी टोका-पुल्लिग शीत शब्द के सात अर्थ माने गये हैं-१. पर्पट (पपरी) २. निम्ब (लिमड़ा) ३. कर्पूर ४. बहुवारक (बहुआर, लसोड़ा, उद्दाल) और ५. वेतस (वेत) और ६. अशनपर्णी (असनपर्णी नाम का प्रसिद्ध वृक्ष विशेष) और ७ हेमन्त (हेमन्त ऋतु)। किन्तु ८. शीतल (ठण्डा) और ६. क्वथित (उकाला हुआ) तथा १०. अलस (आलसी)--इन तीनों अर्थों में शीत शब्द वाच्यवत् (विशेष्यनिघ्न) माना जाता है । शीतक शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. सुस्थित, २. शीत समय (शियाला) और ३. दीर्घसूत्री (आलसी)। मूल : प्रदीपे दर्पणे सद्भिः प्रोक्तो ना शीतचम्पकः ।
महा समंगा काकोल्योः प्रोक्ता स्त्री शीतपाकिनी॥१६६६।। शीतलं पुष्पकासीसे शैत्य - चीरणमूलयोः ।
मौक्तिके पदुमके शीत शिवे श्रीखण्ड-चन्दने ॥१६६॥ हिन्दो टोका-शीत चम्पक शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं --१. प्रदीप, २. दर्पण। शीतपाकिनी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी दो अर्थ माने जाते हैं--१. महासमंगा (वृक्ष
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