Book Title: Nanarthodaysagar kosha
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Ghasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore

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Page 384
________________ नानार्थोदयसागर कोष हिन्दी टीका सहित - समञ्जस शब्द | ३६५ जाता है । पुल्लिंग समज शब्द के दो अर्थ माने गये हैं- १. पशुव्रात (पशु का समूह ) और २. मूर्ख वृन्द ( मूर्खों को मण्डली) किन्तु ३. वन अर्थ में समज शब्द नपुंसक माना जाता है । समज्या शब्द भी स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं - १. समिति (सभा) और २ कीर्ति ( ख्याति ) । नपुंसक समञ्जस शब्द का अर्थ - १. उचित (योग्य) अर्थ माना गया है। इस प्रकार समज्या शब्द के दो और समञ्जस शब्द का एक अर्थ समझना | मूल : समञ्जस: समीचीनेऽभ्यस्ते वाक्यवदीरितः । समयः शपथे काले क्रियाकारे च संविदि ।।२११८ ॥ सिद्धान्तेऽवसरे सम्पद् - विपदो नियमे तथा । निर्देशाऽऽचार भाषासु संकेते च बुधैः स्मृतः ॥ २११६॥ हिन्दी टीका - पुल्लिंग समञ्जस शब्द का अर्थ - १. समीचीन ( अत्यन्त योग्य) होता है किन्तु २. अभ्यस्त अर्थ में समञ्जस शब्द वाच्यवत् (विशेष्यनिघ्न) कहा गया है। समय शब्द पुल्लिंग है और उसके तेरह अर्थ माने गये हैं -- १. शपथ (सौगन्ध ) २ काल (समय) ३. क्रियाकार (क्रिया करने वाला) और ४. संविद् (ज्ञान) तथा ५. सिद्धान्त एवं ६. अवसर (प्रसंग) ७. सम्वत् और विपत्, ६. नियम, १०. निर्देश (कथन) ११. आचार (सदाचार) और १२ भाषा (वचन) तथा १३. संकेत ( इच्छा विशेष ) इस प्रकार समय शब्द के तेरह अर्थ जानना चाहिये । मूल : Jain Education International समया निकटे मध्ये काल ं विज्ञापनेऽव्ययम् । समर्थो हित शक्तिष्ठ सम्बन्धार्थेषु वाच्यवत् ॥२१२० ।। समर्यादः समीपे ना मर्यादासहिते त्रिषु । समलं त्रिष्वनच्छे स्याद् विष्ठायां तु नपुंसकम् ॥ २१२१ ॥ हिन्दी टीका - समया शब्द अव्यय है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं- १. निकट ( समीप ) २. मध्य (बीच ) और ३. काल विज्ञापन ( समय को सूचित करना) । समर्थ शब्द वाच्यवत् (विशेष्यनिघ्न ) माना जाता है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. हित, २. शक्तिष्ठ ( शक्तिशाली ) और ३. सम्बन्धार्थं ( एकार्थीभाव रूप सम्बन्ध अर्थ ) को भी समर्थ कहते हैं। पुल्लिंग समर्याद शब्द का अर्थ - १. समीप (निकट) होता है किन्तु २ मर्यादासहित अर्थ में समर्याद शब्द त्रिलिंग माना जाता है । त्रिलिंग समल शब्द का अर्थ - १. अनच्छ ( स्वच्छ नहीं, मैला - कुचला ) किन्तु नपुंसक समल शब्द का अर्थ - २. विष्ठा (मल) होता है । मूल : समवायस्तु सम्बन्धविशेषे निवहेऽपि च । समष्ठिलो ना भण्डीरे गण्डीरे तु समष्ठिला ॥२१२२।। समागमस्तु सम्प्राप्तौ सम्यगागमनेऽपि च । समाजः पशु भिन्नानां संघे समिति हस्तिनोः ॥ २१२३ ॥ हिन्दी टीका - समवाय शब्द के दो अर्थ माने गये हैं - १. सम्बन्ध विशेष (समवाय नाम का सम्बन्ध) और २. निवह (समूह) । पुल्लिंग समष्ठिल शब्द का अर्थ - भण्डीर ( मंजीठ ) किन्तु गाण्डीर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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