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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-शुभ्र शब्द | ३४५ हिन्दी टोका-नपुंसक शुभ्र शब्द के चार अर्थ माने गये हैं-१ अभ्रक (अबरख) २. कासीस (कासीस नाम का गुल्म विशेष) ३. रोप्य (रूपा) और ४. गड्लवण (विट् नमक)। पुल्लिग शुभ्र के दो अर्थ होते हैं- १. चन्दन और २. शुक्लवर्ण किन्तु ३. सित (सफेद) अर्थ में शुभ्र शब्द वाच्यवत (विशेष्य निघ्न) माना जाता है । शुल्क शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१. वरादर्थग्रह (वर से अर्थ-धन-रुपया लेना) और २. घट्टादिदेय (खेबा वगैरह)। शुल्व शब्द के चार अर्थ होते हैं-१ ताम्र (तांबा) २. जलासन्न (पानी के निकट) और ३. रज्जु (डोरी) और ४. अध्वर कर्म (यज्ञ कर्म) को भी शुल्व कहते हैं। मूल :
शुश्रूषा श्रोतुमिच्छायामुपास्तौ कथनेऽप्यसौ। शुषो ना शोषण गर्ते शुषिः स्त्री बिल-शोषयोः ॥१६६४॥ वंश्यादि वाद्ये विवरे शुषिरं छिद्रिते त्रिषु ।
शुषिरः पुंसि दहने मूषिके: शुषिरा क्षितौ ॥१६६५।। हिन्दी टोका-शुश्रूषा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. श्रोतुमिच्छा (सुनने की इच्छा) २. उपास्ति (सेवा-उपासना) और ३. कथन । १ शोषण (शोषित करना) और २. गर्त (खड्ढा) अर्थ में शुष शब्द पुल्लिग माना जाता है । शुषि शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं१. बिल (छेद) और २. शोष (शोषण करना, सुखाना) । नपंसक शषिर शब्द के दो अर्थ होते हैं१. वंश्यादिवाद्य (बंशी बांसुरी वगैरह वाद्य विशेष) और २. विवर (छिद्र-बिल) किन्तु ३. छिद्रित (छिद्रयुक्त) अर्थ में शुषिर शब्द त्रिलिंग माना गया है। पुल्लिग शुषिर शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. दहन (आग) और २. मूषिक (चूहा) किन्तु स्त्रीलिंग शुषिरा शब्द का अर्थ-१. क्षिति (पृथिवी) होता है।
तरंगिण्यां नलीनामगन्धद्रव्येऽप्यसौ मता। शुष्मः सूर्येऽनले वाया वचिष्यपि विहंगमे ॥१६६६॥ शूकोऽस्त्री श्लक्ष्ण तीक्ष्णाने जलजन्तावनुग्रहे ।
शूनाऽधोजिबिकायां स्यात् वधस्थाने शरीरिणाम् ॥१६६७।। हिन्दो टोका-स्त्रीलिंग शुषिरा शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं -१. तरंङ्गिणी (नदी) और २. नली नाम गन्ध द्रव्य (मालकांगणी-विद्र मलता)। शष्म शब्द पुल्लिग है और उसके पांच अर्थ माने जाते हैं-१. सूर्य, २. अनल (अग्नि) ३. वायु (पवन) ४. अचिष् (ज्योति किरण वगैरह) और ५. विहंगम (पक्षी) । शुक शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. श्लक्ष्ण-तीक्ष्णाग्र (चिक्कण) और तीक्ष्ण का अग्र भाग) २. जलजन्तु (जलचर प्राणी) और ३. अनुग्रह (कृपा) । शूना शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं - १. अधोजिबिका (नीचे की तरफ जीभ वाले प्राणी) और २. शारीरिणां वध स्थान (प्राणियों का वध स्थान-शूली) को भी शूना कहते हैं । मूल : शून्यं नभसि विन्दौ च शून्यो निर्जन-रिक्तयोः ।
शून्यमध्यो नले शून्यगर्भवस्तुनि तु त्रिषु ॥१६६८॥ शुन्यवादी सौगते ना नास्तिके च प्रयुज्यते । शून्या महाकण्टकिन्यां नलिका-बन्ध्ययोरपि ॥१६६६।।
मूल :
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