Book Title: Nanarthodaysagar kosha
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Ghasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore

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Page 370
________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-शौनिक शब्द | ३५१ अर्थ-१. क्लीतनक (नील या जेठी मधु वगैरह) है किन्तु त्रिलिंग शोषण शब्द का अर्थ-१. शोषनाशक होता है । शोक शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-१. शुकगण (पोपट का समूह) और,२. स्त्रीणांकरण (स्त्रियों का करण-इन्द्रिय विशेष)। नपुंसक शौक्तय शब्द का अर्थ-१. मुक्ता (मोती) होता है किन्तु २. शुक्ति सम्बन्धी अर्थ में शौक्त य शब्द त्रिलिंग माना जाता है। पुल्लिग शौटीर शब्द के दो अर्थ होते हैं- १. वीर और २. त्यागी किन्तु ३. गर्वान्वित (गर्व युक्त) अर्थ में शौटीर शब्द त्रिलिंग माना गया है। शौण्डी शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-पिप्पली (पीपरि) और २. चव्य (चाभ नाम का वृक्ष विशेष) । शोटीर्य शब्द के भी दो अर्थ होते हैं--१. वीर्य और २. गर्व (घमण्ड)। मूल : शौनिको मृगयायां स्यात् मांसविक्रयकर्तरि । शौभं हरिश्चन्द्रपुरे शौभो देव-गुवाकयोः ॥२०३०॥ शौर्यमारभटी-शक्तोः शौरिविष्णौ शनैश्चरे । श्यामं तु सिन्धुलवणे मरिचेऽपि नपुंसकम् ॥२०३१॥ हिन्दी टीका-शौनिक शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं—१. मृगया (शिकार-आखेट) और २. मांसविक्रयकर्ता (मांस बेचने वाला)। नपुंसक शौभ शब्द का अर्थ-१. हरिश्चन्द्रपुर (सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र का नगर) किन्तु पुल्लिग शौभ शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-१. देव (देवता) और २. गुवाक (सुपारी-कसैली)। शौर्य शब्द के दो अर्थ माने गये हैं - १. आरभटी, और २. शक्ति। शौरि शब्द के भी दो अर्थ माने हैं-१. विष्णु (भगवान विष्णु) और २. शनैश्चर (शनि ग्रह) । पुल्लिग श्याम शब्द के भी दो अर्थ होते हैं-१. सिन्धुलवण (सैन्धा नमक) और २. मरिच (काली मरी)। श्यामो वटे प्रयागस्य वारिदे वृत्तदारके । पिके हरिति कृष्णे च श्यामाके पीलुपादपे ॥२०३२॥ धुस्तूरे स्याद् दमनकद्रुमेऽपि परिकीर्तितः। श्यामकण्ठः शिवे पक्षिविशेषे च शिखावले ॥२०३३॥ हिन्दी टोका-पुल्लिग श्याम शब्द के दस अर्थ माने गये हैं-१. प्रयागस्य वटः (प्रयाग का वट वृक्ष अक्षय वट) २. वारिद (मेघ) ३. वृद्धदारक (बुड्ढा लड़का या भेद करने वाला बुड्ढा) और ४. पिक (कोयल) ५. हरित् (हरा वर्ण) ६. कृष्ण (काला वर्ण या भगवान कृष्ण) ७. श्यामाक (शामा कंगू बाजरा वगैरह) और ८. पीलुपादप (पीलु नाम का प्रसिद्ध वृक्ष विशेष, जिसका फल भी पीलु कहलाता है) और ६. धुस्तूर (धतूर) तथा १०. दमनकद्र म (दमनक नाम का प्रसिद्ध वृक्ष विशेष)। श्यामकण्ठ शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं-१. शिव (भगवान शङ्कर) और २. पक्षि विशेष (नीलकण्ठ चष नाम का प्रसिद्ध पक्षी, जोकि यात्रा काल में दिखाई देने पर शुभ शकुन माना गया है) और ३. शिखावल (मोर)। मूल : श्यामलः पिप्पले कृष्णवर्णे कृष्ण गुणान्विते । श्यामला कटभी-जम्बू-कस्तूरीष्वपि कीर्तिता ॥२०३४॥ श्येनः शशादने यागप्रभेदे पाण्डुरेऽपि ना। श्रथनं मोक्षणे यत्ने शिथिलीकरणे वधे ॥२०३५॥ मूल : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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