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३५२ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-श्यामल शब्द
हिन्दी टीका-श्यामल शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. पिप्पल, २. कृष्णवर्ण और ३. कृष्ण गुणान्वित (काला वर्ण वाला)। श्यामला शब्द के भी तोन अर्थ होते हैं-१. कटभी (माल कांगनी) २. जम्बू (जामुन) और ३. कस्तूरी। पुल्लिग श्येन शब्द के भी तीन अर्थ माने जाते हैं-शशादन (बाज पक्षी) २. याग प्रभेद (याग विशेष-श्येन याग) और ३. पाण्डुर (सफेद वर्ण)। श्रथन शब्द के चार अर्थ होते हैं१. मोक्षण, २. यत्न, ३. शिथिलीकरण (ढीला करना) और ४. वध (मारना) । मूल : श्रद्धा संप्रत्यये शुद्धौ स्पृहायामादरे तथा ।
चेतः प्रसादे श्रद्धालुः स्त्री दोहदवती स्त्रियाम् ॥२०३६॥ श्रद्धायुक्त त्वसौ प्राज्ञ च्यिवत् परिकीर्तितः।
श्रन्थितो ग्रथिते बद्धे मुक्त कृतवधे त्रिषु ॥२०३७॥ हिन्दी टोका-श्रद्धा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ माने गये हैं-१. संप्रत्यय (विश्वास) २. शुद्धि (पवित्रता वगैरह) ३. स्पृहा (वाञ्छा) ४. आदर और ५. चेतः प्रसाद (चित्त की प्रसन्नता)। स्त्रीलिंग श्रद्धालु शब्द का अर्थ-१. दोहदवती स्त्री (गर्भावस्था के कारण विशेष स्पृहा वाली स्त्री) किन्तु ३. श्रद्धायुक्त (श्रद्धा वाला) अर्थ में श्रद्धालु शब्द वाच्यवत् (विशेष्यनिघ्न) माना जाता है। त्रिलिंग श्रन्थित शब्द के चार अर्थ माने गये हैं-१. ग्रथित (गूथा हुआ) २. बद्ध (बँधा हुआ) ३. मुक्त (छोड़ा हुआ) और ४. कृतवध (वध करने वाला या जिसका वध किया गया है)।
श्रमः परिश्रमे खेदे शस्त्राभ्यासे तपस्यपि । श्रमणो जैनसाधौ ना, निन्द्य जीविन्यसौ त्रिषु ।।२०३८॥ सुदर्शनायां मुण्डीरी-शवर्योः श्रमणा मता।
श्रवणं न स्त्रियां कर्णे नक्षत्रे श्रवणाभिधे ॥२०३६।। हिन्दी टोका-श्रम शब्द के चार अर्थ होते हैं- १. परिश्रम (मेहनत) २. खेद (दुःख) ३. शस्त्राभ्यास (अस्त्र-शस्त्र का अभ्यास करना) और ४. तपस् (तपस्या करना)। पुल्लिग श्रमण शब्द का अर्थ१. जैन साधु होता है किन्तु २. निन्द्यजीवी (गहित जीवन) अर्थ में श्रमण शब्द त्रिलिंग माना गया है। स्त्रीलिंग श्रमण शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं-१. सुदर्शना (सुन्दरी स्त्री वगैरह) २. मुण्डीरी और ३. शवरी (भीलनी)। पुल्लिग तथा नपुंसक श्रवण शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. कर्ण (कान) और २. श्रवणाभिध नक्षत्र (श्रवणा नक्षत्र) इस प्रकार श्रवण शब्द का दो अर्थ समझना चाहिये । मूल : क्लीवं कर्णेन्द्रियज्ञाने श्रवः क्षरण-कर्णयोः ।
श्रान्तो जितेन्द्रिये शान्ते श्रमयुक्ते त्वसौ त्रिषु ॥२०४०॥ श्रामो मासे च काले च मण्डपेऽपि प्रकीर्तितः।
श्रायस्त्वाश्रयणे पुंसि श्रीसम्बन्धिन्यसौ त्रिषु ॥२०४१॥ हिन्दी टीका-नपंसक श्रवण शब्द का एक और भी अर्थ माना गया है-१. कर्णेन्द्रियज्ञान (श्रावण प्रत्यक्ष)। श्रव शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. क्षरण (झरना) और २. कर्ण (कान)। पुल्लिग श्रान्त शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. जितेन्द्रिय और २. शान्त, किन्तु ३. श्रमयुक्त अर्थ में श्रान्त शब्द त्रिलिंग माना जाता है। श्राम शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. मास, २. काल और ३. मण्डप । श्राय शब्द
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