Book Title: Nanarthodaysagar kosha
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Ghasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore

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Page 369
________________ मूल : मूल : ३५० | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-शोधन शब्द परिष्करण (घाव वगैरह का परिष्करण धो-धाकर-मल्हम पट्टी करना) तथा ७. लिखितपत्रादेः प्रमाणीकरण (लिखित पत्र वगैरह को प्रमाणित करना) और ८. विरुद्ध लिखितस्य शुद्धीकरण (अपने विरुद्ध लिखित लेख को शुद्ध करना) तथा ६. अङ्कपूरण (अङ्क-संख्या को पूर्ण करना) इस प्रकार शोधन शब्द के ग्यारह अर्थ जानना। शोधनः पुंसि निम्बूके त्रिलिंग: शुद्धिकर्तरि । शोधनी जैन साधूनां प्रमार्जन्यां प्रयुज्यते ॥२०२३।। संमार्जन्यां ताम्रवल्ल्यां नील्यामपि बुधैः स्मृता। शोभनं पङ्कजे क्लीवं ग्रहे ना सुन्दरे त्रिषु ॥२०२४॥ हिन्दी टीका-१. निम्बू (नेबो) अर्थ में शोधन शब्द पुल्लिग माना जाता है किन्तु २. शुद्धिकर्ता (शुद्धि करने वाला) अर्थ में शोधन शब्द त्रिलिंग माना जाता है । स्त्रीलिंग शोधनी शब्द के चार अर्थ माने गये हैं -१. जैन साधूनां प्रमार्जनी (जैन साधुओं की प्रमार्जनी-ओघा) और २. संमार्जनी (झाडू) ३. ताम्रवल्ली नाम की लता विशेष) और ४. नीली (गरी या लीलू) । नपुंसक शोभन शब्द का अर्थ-१. पङ्कज (कमल) होता है किन्तु २. ग्रह अथ में शोभन शब्द पुल्लिग माना गया है और ३. सुन्दर (रमणीय) अर्थ में शोभन शब्द त्रिलिंग माना जाता है। इस तरह शोभन शब्द के तीन अर्थ जानना । स्त्रियां गोरोचनायां च हरिद्रायामपि स्मृता । शोभा गोरोचनायां स्यात् कांतौ गोपी-हरिद्रयोः ॥२०२५।। शोषणे यक्ष्मरोगे च शोषो ना परिकीर्तितः। शोषणः स्नेहरहितीकरणे च महौषधौ ॥२०२६।। हिन्दी टीका-स्त्रीलिंग शोभना शब्द के दो अर्थ होते हैं - १. गोरोचना (गोलोचन) और २. हरिद्रा (हलदी)। शोभा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. गोरोचना (गोलोचन) २. कान्ति, ३. गोपी और ४. हरिद्रा (हलदी)। पुल्लिग शोष शब्द के दो अर्थ होते हैं१. शोषण (शोषण करना सुखाना) और २. यक्ष्मरोग (टी. बी.)। शोषण शब्द के भी दो अर्थ माने गये हैं-१. स्नेह रहितीकरण (स्नेह रहित करना-रूखा सूखा बनाना या करना) और २. महौषधि (महौषधि विशेष)। मूल : पुमांस्तु कामविशिखे तथा श्योनाकपादपे। शोषापहा क्लीतनके त्रिष्वसौ शोषनाशके ॥२०२७॥ शौकं शुकगणे स्त्रीणांकरणे च प्रकीर्तितम् । शौक्त यं स्यात्तु मुक्तायां शुक्ति सम्बन्धिनि त्रिषु ॥२०२८।। वीरे त्यागिनि शौटीरो ना स्याद् गर्वान्विते त्रिषु । पिप्पली-च व्ययोः शौण्डी शौटीयं वीर्य गर्वयोः ॥२०२६॥ हिन्दी टीका-पुल्लिग शोषण शब्द के और भी दो अर्थ माने गये हैं-१. कामविशिख (कामदेव का बाण) और २. स्योनाकपादप (सोनापाठा का वृक्ष)। शोषापहा शब्द पुल्लिग है और उसका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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