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मूल :
नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-शैव शब्द | ३४६ प्रसिद्ध सुगन्धि द्रव्य विशेष) और ३. गिरिपुष्पक (गिरिमल्लिका) किन्तु पुल्लिग शैलेय शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. भ्रमर, २. सिंह । स्त्रीलिंग शैलेयी शब्द का अर्थ-१. शङ्करस्त्री (भगवान शङ्कर की पत्नी पार्वती) होता है। पुल्लिग शैव शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. धुस्तूर (धतूर) और २. आचार विशेष (शिव भक्ति विशेष) तथा ३. वसुक (वसु)।
शैवं शिवपुराणे स्यात् शैवालेऽपि बुधे स्मृतः। शैवलं पद्मकाष्ठे स्यात् शैवाले तु पुमानसौ ॥२०१८॥ शोठो मूर्खेऽलसे धूर्ते नीचे पापरते त्रिषु ।
शोणं रक्त च सिन्दूरे शोणो वह्नौ नदान्तरे ॥२०१६॥ हिन्दी टीका-नपुंसक शैव शब्द के दो अर्थ होते हैं –१. शिवपुराण और २. शैवाल (लोलू शिमार) नपुंसक शैवल शब्द का अर्थ - १. पद्मकाष्ठ किन्तु २. शैवाल अर्थ में शैवल शब्द पुल्लिग माना गया है। पुल्लिग शोठ शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. मूर्ख, २. अलस (आलसी) ३. धूर्त (वञ्चक) और ४. नोच (अधम) किन्तु ५. पापरत (पापी) अर्थ में शोठ शब्द त्रिलिंग माना जाता है। नपुंसक शोण शब्द के दो अर्थ होते हैं -१. रक्त (लाल) और २. सिन्दूर (कुंकुम)। पुल्लिग शोण शब्द के भी दो अर्थ माने जाते हैं -१. वन्हि (अग्नि) और २. नदान्तर (नद विशेष-शोण नाम का प्रसिद्ध नद विशेष, जोकि दक्षिण बिहार में बहता है)।
श्योनाके लोहिताश्वे च रक्तोत्पलनिभच्छवौ। समुद्र भेदे रक्त क्षौ श्योनाकभिदि कीर्तितः ।।२०२०।।
शोण झिण्टी कुरुबके शोणितं कंकुमेऽसृजि ।
. कंकुष्ठे शोधनं क्लीवं त्रिलिंगः शुद्धि कारके ॥२०२१॥ हिन्दी टोका-पुल्लिग शोण शब्द के और भी छह अर्थ माने जाते हैं-१. श्योनाक (सोना पाठा) २. लोहिताश्व (अग्नि) और ३. रक्तोत्पल निभच्छवि (लाल कमल के समान कान्ति) तथा ४ समुद्रभेद (समुद्र विशेष) और ५. रक्तक्षु (लाल गन्ना; शेर्डी) और ६. श्योनाकभिद् (श्योनाक विशेषसोनापाठा) । शोणझिण्टी शब्द का अर्थ-१. कुरुबक (लाल कट सरैया) है। शोणित शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. कुंकुम (सिन्दूर) और २. असृज् (खून-रुधिर) । नपुंसक शोधन शब्द का अर्थ-१. कंकुष्ठ होता है किन्तु २. शुद्धि कारक (शुद्धि करने वाला) अर्थ में शोधन शब्द त्रिलिंग माना जाता है। मूल : शोधनं शौच विष्ठायां कासीसे विहिताविहित
मासादि विचारणे धातु निर्दोषीकरणे, व्रणादि परिष्करणे. लिखितपत्रादेः प्रमाणीकरणे,
विरुद्धलिखितस्य शुद्धीकरणे अङ्कपूरणे ॥२०२२॥ हिन्दी टीका-नपंसक शोधन शब्द के और भी नौ अर्थ माने गये हैं.-१. शौच (पवित्रता वगैरह) २. विष्ठा (मल) ३. कासीस, ४. विहिताविहितमासादि विचारण (विहित तथा अविहित मास वगैरह का विचार करना) ५. धातु निर्दोषीकरण (धातु को दोष रहित शुद्ध करना) और ६. व्रणादि
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