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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-शृंगिणी शब्द | ३४७ (अदरख-आदू) २. चूर्ण, ३. कालागुरु (काला अगरु) और ४. लवंग किन्तु पुल्लिग श्रृगार शब्द के भी चार अर्थ माने गये हैं—१. सिन्दर (कम) २. सरत (संभोग) ३. गजभूषण (हाथी का भूषण विशेष) तथा ४. नाट्यरस (श्रृगार नाम का रस विशेष) । श्रृंगारी शब्द नकारान्त पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. गज (हाथी) और २. पूग (सुपारी कसैली या समूह) इस प्रकार शृंगारी शब्द के दो अर्थ जानना। मूल : शृगिणी मल्लिकावृक्षे गवि ज्योतिष्मतीतरौ ।
शृंगी गजे गिरौ वृक्षे शृगयुक्तत्वसौ त्रिषु ॥२००६॥ शृगी स्त्री मद्गुरीमत्स्यां तथा मण्डन हेमनि।
शेखरस्तु शिखामाल्ये तथा गीत-ध्र वान्तरे ॥२००७॥ हिन्दी टोका-शृंगिणी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. मल्लिका वक्ष, २. गौ और ३. ज्योतिष्मती तरु (मालकांगनी का वृक्ष विशेष)। पुल्लिग नकारान्त शृंगी शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. गज (हाथी) २. गिरि (पर्वत) ३. वृक्ष किन्तु ४. शृंगयुक्त अर्थ में शृंगी शब्द त्रिलिंग माना गया है। स्त्रीलिंग शृंगी शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. मद्गुरीमत्स्यी (मद्गुरी नाम की मछलीमोमरी) और २. मण्डनहेम (भूषण सुवर्ण)। शेखर शब्द पुल्लिग है और उसके भी दो अर्थ होते है१. शिखामाल्य (शिरोमाला) और २. गीत ध्र वान्तर (गीत का ध्रुव ताल विशेष)।। मूल :
शेखरं तु लवंगे स्यात् शिग्न मुलेऽपि कीर्तितम् । शेषः संकर्षणेऽनन्ते वधेऽपि मतंगजे ॥२००८॥ शैलाटो देवले सिहे शुक्ल-काच-किरातयोः ।
शूलोऽस्त्रीकेतने योग-रोग - शस्त्रान्तरेषु च ॥२००६॥ हिन्दी टीका-- नपुंसक शेखर शब्द के भी दो अर्थ माने गये हैं-१. लवंग और २. शिग्रमूल (सहिजन का मूल भाग)। शेष शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं—१. संकर्षण (बलराम) २. अनन्त (शेषनाग) ३ वध और ४. मतंगज (हाथी)। शैलाट शब्द भी पुल्लिग है और उसके भी चार अर्थ माने जाते हैं-१. देवल (पुजारी) २. सिंह, ३. शुक्लकाच (सफेद काच) और ४. किरात (भील-कोल)। शूल शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक है और उसके भी चार अर्थ होते हैं-१. केतन (पताका) २. योग, ३. रोग (शूल नाम का रोग विशेष-आमवात) और ४. शस्त्रान्तर (शस्त्र विशेष-त्रिशूल)। मूल : मृत्यौ शूली तु ना शम्भौ शशे शूलास्त्रधारके ।
शूलरोगयुते चासौ वाच्यवत् कथितो बुधैः ॥२०१०॥ शृगालो जम्बुके भीरौ निष्ठुरे पिशुने मतः।
शृगालजम्बूः स्त्री घोण्टा फले ज्ञ या तरम्बुजे ॥२०११॥ हिन्दी टीका-शूल शब्द का एक और भी अर्थ माना जाता है—१. मृत्यु (मरण)। पुल्लिग नकारान्त शूली शब्द के तीन अर्थ होते हैं- १. शम्भु (भगवान शंकर) २. शश (खरगोश) और ३. शूलास्त्र धारक (शूल-त्रिशूल अस्त्र को धारण करने वाला) किन्तु ४. शूलरोगयुक्त (शूल रोग वाला)
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