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३६२ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित--सज्जा शब्द
कुट्टन्यां युगले घ्राणे दूत्यां संचारिका स्मृता ।
सटा तु स्त्री शिखायां स्यात् जटा केशरयोरपि ॥२०६६।। हिन्दी टीका-सज्जा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१. वेश (पोशाक) और २. सन्नाह (पूर्ण तैयारी)। संचय शब्द के भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. संग्रह (इकट्ठा करना) और २. गण (समूह)। संचार शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. गमन (जाना) २. दुर्गसंचर (दुर्ग-किला के अन्दर विचरना) और ३. ग्रहसंक्रम (ग्रहों का संक्रमण)। संचारिका शब्द के भी तोन अर्थ होते हैं१. कुट्टनी (ब्यभिचार के लिये मिलाने वाली) २. युगल (जोड़ा) ३. घ्राण (नाक) और ४. दूती । सटा शब्द भी स्त्रीलिंग है और उसके भी तीन अर्थ होते हैं - १. शिखा २. जटा तथा ३, केशर । मल: सती पतिव्रता-दुर्गा - सौराष्ट्री-मृत्तिकासु च ।
सावित्र्यां विद्यमानायां तथा दानाऽवसानयोः ॥२१००॥ सतीलो मारुते वंशे कलायेऽपि प्रकीर्तितः ।
सत्ये धीरे विद्यमाने साधौ शस्ते च सत् त्रिषु ॥२१०१।। हिन्दी टीका --सती शब्द स्त्रीलिंग है और उसके सात अर्थ होते हैं-१. पतिव्रता स्त्री, २. दुर्गा(पार्वती) ३. सौराष्टीमत्तिका (उत्तम राष्ट्र की मिट्टी) ४. सावित्री और ५. विद्यमाना
में रहने वाली) ६. दान और ७. अवसान (समाप्ति)। सतील शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. मारुत (पवन) २. वंश, ३. कलाय (मटर, वटाना) । सत् शब्द त्रिलिंग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. सत्य, २. धीर, ३. विद्यमान, ४. साधु और ५. शस्त (प्रशस्त) इस प्रकार सत् शब्द के पाँच अर्थ जानना । मूल : ___ संमाने संस्क्रियायां च सक्रिया स्त्री निगद्यते।
सत्रं गृहे धने दाने कानने कपटेऽध्वरे ॥२१०२॥ हिन्दी टोका- सक्रिया शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं--१. सम्मान (आदर) और २. संस्क्रिया (संस्कार) । सत्र शब्द नपुंसक है और उसके छह अर्थ होते हैं-१. गृह, २. धन, ३. दान, ४. कानन (बन) ५. कपट (छल) और ६ अध्वर (याग)। मूल : सत्कृतः कृतसत्कारे पूजितेऽप्यभिधेयवत् ।
सत्वं बले पिशाचादौ व्यवसाय-स्वभावयोः ॥२१०३।। द्रव्ये चित्ते च प्राणेषु गुणे जन्तौ तु न स्त्रियाम् । सत्यं कृते च सिद्धान्ते यथार्थे तद्वति त्रिषु ।।२१०४।। सदस्यः पुंसि सभ्ये स्यात् तथैव विधिदशिनि ।
सदाप्रसूनो नाऽर्कद्रौ कुन्दे रोहितकद्रुमे ॥२१०५॥ हिन्दी टीका-पुल्लिग सत्कृत शब्द का अर्थ-१. कृतसत्कार (संमानित) होता है किन्तु २. पूजित अर्थ में सत्कृत शब्द अभिधेयवत् (विशेष्यनिघ्न) माना जाता है। नपुंसक सत्व शब्द के आठ अर्थ माने गये हैं-१. बल (सामथ्यं, ताकत) २. पिशाचादि (पिशाच वगैरह) ३. व्यवसाय (उद्योग धन्धा) । ४. स्वभाव (नेचर-प्रकृति) ५. द्रव्य, ६. चित्त (मन) ७. प्राण और ८. गुण (सत्वगुण) किन्तु ६. जन्तु अर्थ
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