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३४२ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दो टीका सहित-शील शब्द मूल : ब्रह्मण्यतादौ सद्वत्ते शीलो नाऽजगरे स्मृतः ।
शुकं वस्त्रे शिरस्त्राणे ग्रन्थिपणे पटाञ्चले ॥१९७४॥ शोणकेऽथ शुकः कीरे व्यासपुत्रे मान्तरे।
शिरीष पादपे लंकापति मन्त्रिण्यापि स्मृतः ।।१६७५।। हिन्दी टीका-पुल्लिग शील शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं-१. ब्रह्मण्यतादि (ब्रह्मनिष्ठता ब्राह्मणपना वगैरह) २ सवृत्त (समीचीन आचरण वाला) और ३. अजगर (अजगर सर्प) इन तीनों अर्थों में शील शब्द पुल्लिग माना गया है । नपुंसक शुक शब्द के पाँच अर्थ माने जाते हैं-१. वस्त्र, २. शिरस्त्राण (टोप) ३ ग्रन्थिपर्ण (कुकरौन्हा या गठिवन) और ४. पटाञ्चल (वस्त्र का अञ्चल) तथा ५. शोणक (सोना पाठा)। पुल्लिग शुक शब्द के भी पाँच अर्थ माने गये हैं-१. कीर (पोपट शूगा) २. व्यास पुत्र (शुकाचार्य) ३. द्रमान्तर (वृक्ष विशेष) और ४. शिरीषपादप (शिरीष का वृक्ष) तथा ५. लंकापतिमन्त्री (लंकापति-रावण का मन्त्री) को भी शुक शब्द से व्यवहार किया जाता है। मूल : शुक्त मांसे द्रवद्रव्य विशेषे काजिकेऽपि च ।
। त्रिष्वसौ निष्ठुरे श्लिष्टे पूतेऽम्ले निर्जने मतः ॥१९७६।।
चुक्रिकायां तु शुक्ता स्त्रीशुक्तिमौक्तिकमातरि ।
मुक्तास्फोटे चुक्रिकायां शुक्तिका कीर्तितास्त्रियाम् ॥१६७७।। हिन्दी टीका-नपुंसक शुक्त शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं-१. माँस, २. द्रवद्रव्यविशेष और ३. काजिक (काँजी-खट्टा) । किन्तु त्रिलिंग शुक्त शब्द के पाँच अर्थ होते हैं-१. निष्ठुर (कठोर) २. श्लिष्ट (श्लेषयुक्त परस्पर सम्वद्ध) ३. पूत (पवित्र) ४. अम्ल (खट्टा) और ५. निर्जन । स्त्रीलिंग शुक्ता शब्द का अर्थ-१. चुक्रिका (नोनी शाक जो कि स्वयं कुछ नमकीन होता है)। स्त्रीलिंग शुक्ति शब्द का अर्थ - २. मौक्तिकमाता (मुक्तामणि की जननी) होता है क्योंकि शुक्ति में मौक्तिक मणि पैदा होता है । शुक्तिका शब्द भी स्त्रीलिंग माना गया है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. मुक्तास्फोट (सीप) और २. चुक्रिका (नोनी शाक) इस प्रकार शुक्तिका शब्द के दो अर्थ जानने चाहिए।
शुक्रो दैत्यगुरौ वह्नौ ज्येष्ठे चित्रकपादपे । शुक्रतु लोचनव्याधि विशेषे रेतसि स्मृतम् ॥१९७८।। शुक्लं स्याद् रजते नेत्ररोगाविशेष-नवनीतयोः ।
शुक्लो ना धवले शक्रयोग-पाण्डरपक्षयोः ॥१६७६।। हिन्दी टोका-पुल्लिग शुक्र शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं -१. दैत्यगुरु (शुक्राचार्य) २. वह्नि (अग्नि) ३. ज्येष्ठ (जेठ मास) और ४. चित्रकपादप (चीता नाम का प्रसिद्ध वृक्ष विशेष)। नपुंसक शुक्र शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. लोचनव्याधिविशेष (आँख का रोग विशेष) और २. रेतस् (वीर्य) । नपंसक शुक्ल शब्द के तीन अर्थ होते हैं ....१. रजत (चाँदी) २. नेत्ररोग विशेष और ३. नवनीत (मक्खन)। पुल्लिंग शुक्ल शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं-१. धवल (सफेद) २. शनयोग (इन्द्रयोग वगैरह) और ३. पाण्डरपक्ष (शुक्ल पक्ष) इस प्रकार शुक्ल शब्द के छह अर्थ समझने चाहिए।
मूल :
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