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मूल :
नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-शर शब्द | ३२७ हुआ) अर्थ त्रिलिंग माना गया है और २. वसन्तकुसुम (वसन्ती फूल) अर्थ में पुल्लिग माना जाता है किन्तु ३. शयन अर्थ में शयित शब्द नपुंसक माना गया है । शर शब्द १. जल अर्थ में नपुंसक माना जाता है ।
शरोना गुन्द्रके बाणे हिंसा-दध्यग्रभागयोः । सन्तानिकायां नलदे महापिण्डीतरावपि ॥१८८४॥ हैयङ्गवीने शरजं नवनीतेऽपि कीर्तितम् ।
कुसुम्भ शाके शरटः कृकलासेऽप्यसौ स्मृतः ।।१८८५।। हिन्दी टीका---पुल्लिग शय शब्द के सात अर्थ होते हैं -१. गुन्द्रक (गोंद) २. बाण, ३. हिंसा और ४ दध्यग्रभाग (छाल्ही) ५. सन्तानिका (सन्तति परम्परा) और ६. नलद (शरकण्डा) तथा ७. महापिण्डीतरु (महापिण्डी नाम का वृक्ष विशेष) । शरज शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने गये हैं१. हैयङ्गवीन (मक्खन) और २. नवनीत (नया ताजा मक्खन) । शरट शब्द पुल्लिग है और उसके भी दो अर्थ होते हैं-१. कुसुम्भशाक (कुसुम्भ नाम का शाक विशेष) और २. कृकलास । (बड़ा गिरगिट) इस प्रकार शरट शब्द के दो अर्थ जानना मूल : शरणे रक्षके गेहे रक्षणे घातके वधे ।
शरणा तु प्रसारिण्यां शरणिः स्त्री क्षितौ पथि ॥१८८६॥ शरणी स्त्री प्रसारिण्यां जयन्ती-मार्गयोरपि ।
शरण्डः कामुके धूर्ते शरटे भूषणे खगे ॥१८८७॥ हिन्दी टोका-नपुंसक शरण शब्द के पाँच अर्थ होते हैं-१. रक्षक (रक्षा करने वाला) २. गेह (घर) ३. रक्षण (रक्षण करना) ४. घातक (मारने वाला) और ५. वध (हिंसा करना)। स्त्रीलिंग शरणा शब्द का अर्थ-प्रसारिणी (फैलने वाली सेनाएँ) स्त्रीलिंग शरणि शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं -१. क्षिति (पृथिवी) और २. पथ (मार्ग रास्ता)। स्त्रीलिंग शरणी शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं- १. प्रसारिणी (सब जगह व्याप्त होने वाली सेना) और २. जयन्ती (जाही-अरणि-गनियार) और ३. मागं (रास्ता) शरण्ड शब्द पुल्लिग माना गया है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. कामुक (विषय लम्पट) २. धूर्त (वञ्चक) ३. शरट (बड़ा गिरगिट) और ४. भूषण (अलंकरण जेबरात) और ५. खग (पक्षी) इस तरह शरण्ड शब्द का पाँच अर्थ जानना चाहिये ।
शरणुः पुंसि जीमूते भरण्यौ मातरिश्वनि । शरत् स्त्री वत्सरे कालप्रभाते स्त्रीरजस्यपि ॥१८८८॥ शरभो ना महासिंहे करभे वानरान्तरे ।
क्रमेलके च शलभे शरमल्लस्तु पक्षिणि ।।१८८६।। हिन्दी टोका-शरणु शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. जीमूत (मेघ वगैरह) २. भरण्यु (नौकर) और ३. मातरिश्वा (पवन)। शरत् शब्द त्रिलिंग है और उसके भी तीन अर्थ होते हैं-१. वत्सर (वर्ष) २. काल प्रभात (आश्विन कार्तिक मासद्वय रूप ऋतु विशेष) और ३. स्त्रीरजस् (स्त्री का मासिक धर्म) । शरभ शब्द पुल्लिग है और उसके भो पाँच अर्थ होते हैं-१- महासिंह, २. करभ
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