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मूल :
३३६ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित--शिखरिणी शब्द चलाया था) तथा ५. स्वर्णयूथो (पीले फूल वालो जूही) और ६. गुजा (चनौठो मूंगा) तथा ७. प्रचलीकी (मयूर-शिखायुक्त शिखा वाला)। मूल : छन्दोभेदे शिखरिणी रोमावल्यां वरस्त्रियाम् ।
मृद्वीका-मल्लिका-मूर्वा-रसाला सप्तलासु च ॥१६३७।। हिन्दी टीका-शिखरिणी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके आठ अर्थ माने गये हैं-१. छन्दोभेद (छन्द विशेष-शिखरिणी छन्द) २. रोमावली (रोमपंक्ति) और ३ वरस्त्री (उत्तम नारी) ४ मृद्वीका (मुनाका-दाख) ५. मल्लिका (पवंतोय पुष्प विशेष) ६. मूवी (धनुष की डोरी) और ७. रसाला (दही खाँड़ घी मिर्च और सोंठ से बनाई हुई चटनी जिसको गुजरात में सिखरन या सिकरन कहते हैं तथा ८. सप्तला (बसन्ती नेवारी नवमालिका)।
शिखरी ना तरौ शैले वन्दाके जलकुक्कुभे । कोट्टऽपामार्ग - कौलीरा-यावनालेषु कुन्दुरौ ।।१६३८॥ शिखा मयूरचूडायां केश पाश्यां स्मरज्वरे ।
प्रधाने प्रपदे रश्मौ शाखायां लाङ्गलीतरौ ॥१६३६।। हिन्दी टीका शिखरी शब्द नकारान्त पुल्लिग है और उसके नौ अर्थ माने गये हैं -१. तरु (वृक्ष) २. शैल (पर्वत) ३. वन्दाक (बाँदा, वन्दा -वृक्ष के ऊपर उत्पन्न बाँझ नाम का लता विशेष) और ४. जलकुक्कुभ (जल जन्तु विशेष वगैरह) तथा ५. कोट्ट (पुर का दुर्ग) ६. अपामार्ग (चिरचीरी) ७. कौलीर (कुलीर-कर्कट-काकोर का बच्चा) और ८. यावनाल (अलता का नाल) तथा ६. कुन्दुरु (पालक शाक)। शिखा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके आठ अर्थ माने गये हैं—१. मयूर-चूडा (मोर को चूडा) २. केशपाशी (जूडा) ३. स्मरज्वर (कामज्वर) ४. प्रधान, ५. प्रपद (पाद का अग्र भाग) ६. रश्मि (किरण) ७. शाखा और ८. लाङ्गलीतरु (नारियल का वृक्ष या जलपीपरि का वृक्ष) इस प्रकार शिखा शब्द के आठ अर्थ जानने चाहिये।
अग्रमात्र शिफायां च कीर्तिता दहनाचिषि । शिखावान् चित्रके केतुग्रहेऽग्नौ शिखिनि त्रिषु ॥१६४०॥ शिखी ना ब्राह्मणे वह्नौ घोटके कुक्कुटे शवे ।
केतुग्रहे बलीवर्दे मयूरे चित्रक द्रुमे ॥१६४१॥ हिन्दी टोका-शिखा शब्द के और भी तीन अर्थ माने जाते हैं-१. अग्रमात्र, २. शिफा (डाल की जड़ मूल भाग) और ३. दहनाचिष् (अग्नि की अचिष् ज्योति शिखा)। पुल्लिग शिखावान् शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१ चित्रक (चीता) २. केतुग्रह, ३. अग्नि, किन्तु ४. शिखी (शिखायुक्त) उ.र्थ में शिखावान् शब्द त्रिलिंग माना जाता है । शिखी शब्द नकारान्त पुल्लिग है और उसके नौ अर्थ माने गये हैं१. ब्राह्मण, २. वह्नि (अग्नि) ३. घोटक (घोड़ा) ४. कुक्कुट (मुर्गा) ५. शव (मुर्दा) ६. केतुग्रह ७. बलीवर्द (साँड़) ८. मयूर और ६. चित्रकद्र म (एरण्ड का वृक्ष या चीता नाम का प्रसिद्ध वृक्ष विशेष) को भी शिखा कहते हैं। मूल : पर्वते पादपे दीपे मेथिकायां सितावरे ।
अजलोमद्रुमे चासौ शिखा युक्त तु वाच्यवत् ।।१६४२॥
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