Book Title: Nanarthodaysagar kosha
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Ghasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore

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Page 344
________________ मूल : नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-शम शब्द | ३२५ पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. शान्ति २. कर (टैक्स वगैरह) ३. मुक्ति और ४. अन्तरिन्द्रियनिग्रह (मन को वश में करना)। विक्षेपकर्मोपरमे क्रियायां चित्तसंयमे । शमनं चर्वणे शान्तौ यज्ञार्थपशुघातने ॥१८७१॥ हिंसायां चाथ शमनः कृतान्ते हरिणान्तरे । शमथः सचिवे शान्तौ समलं गूथ-पापयोः ॥१८७२॥ हिन्दी टीका-शम शब्द के और भी तीन अर्थ माने गये हैं.-१. विक्षेपकर्मोपरम (विक्षेप कर्म की शान्ति) २ क्रिया (रोग का प्रतीकार इलाज) और ३. चित्तसंयम (चित्त का निरोध)। शमन शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ होते हैं-'. चर्वण (चवित चर्वण करना) शान्ति और ३. यज्ञार्थपशुघातन (यज्ञ के लिए पशु की हिंसा करना) और ४. हिंसा (वध करना) भी नपुंसक शमन शब्द का अर्थ होता है, किन्तु पुल्लिग शमन शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. कृतान्त (यमराज) और २. हरिणान्तर (हरिण विशेष) । पुल्लिग शमथ शब्द के भी दो अर्थ माने गये हैं-१ सचिव (मन्त्री) और २. शान्ति । शमल शब्द के भी दो अर्थ होते हैं—१. गूथ (गंह-विष्ठा पाखाना) और २. पाप। इस तरह शमल शब्द का दो अर्थ जानना चाहिये। शमी स्त्रियां वल्गुलिका-शिम्बा-शक्तुफलासु च। शम्पाको ना यावके स्यात् आरग्वध विपाकयोः ॥१८७३॥ शम्बोना मुशलाग्रस्थ लोहमण्डले ऽधने । वज्रऽनुलोमकृष्टौ च लौहकाञ्च्यामपीष्यते ॥१८७४॥ हिन्दी टीका-शमी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं—१. वल्गुलिका (लता विशेष) २. शिम्बा (छिमी) और ३. शक्तुफला (लता विशेष)। शम्पाक शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अथ माने गये हैं-१. यावक (अलता) २. आरग्वध (अमलतास) और ३. विपाक (अच्छी तरह पाक)। शम्ब शब्द पल्लिग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं-१. मुशलाग्रस्थलोहमण्डल (मशर का अग्र भागस्थ लोह का बना हुआ शामा) २. अधन (धनहीन -निर्धन) ३. वज्र ४. अनुलोमकृष्टि (अनुलोम कर्षण करना खेत जोतना वगैरह) और ५. लौहकाञ्ची (लोहे की जंजीर ।) शुभान्विते भाग्यवति त्रिलिंगोऽयमुदाहृतः । शम्बरं सलिले चित्रे वित्ते बौद्धव्रते व्रते ॥१८७५॥ शम्बरो ना जिने शैले दैत्ये मत्स्येऽर्जुनद्रुमे । चित्रकद्रौ मृगे लोघ्र युद्धे श्रेष्ठे त्वसौ त्रिषु ॥१८७६।। हिन्दी टोका-त्रिलिंग शम्ब शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं-१. शुभान्वित (शुभयुक्त) और २. भाग्यवान (भाग्यशाली)। नपुंसक शम्बर शब्द के पाँच अर्थ होते हैं—१. सलिल (पानी) २. चित्र ३. वित्त ४. बौद्धव्रत और ५. व्रत (साधारण व्रत)। पूल्लिग शम्बर शब्द के नौ अर्थ होते हैं-१. जिन, २. शैल, ३. दैत्य, ४ मत्स्य, ५ अर्जुनद्र म (अर्जुनवृक्ष वटवृक्ष) ६. चित्रकद्र (चित्रक नाम का वृक्ष विशेष) ७. मृग ८. लोध्र और ६. युद्ध किन्तु १०. श्रेष्ठ अर्थ में शम्बर शब्द त्रिलिंग माना जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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