Book Title: Nanarthodaysagar kosha
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Ghasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore

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Page 342
________________ नानार्थोदयसागर कोष: हिन्दी टीका सहित - शतघ्नी शब्द | ३२३ १. वन्ध्यपुरुष (नपुंसक, बाँझ पुरुष) और २. अन्तर्महल्लिक ( अत्यन्त अन्तर्महल्लक - हिजड़ा ) । शण्ड और शण्ठ शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं - १. उन्मत्त (पागल) २. गोपति और ३. क्लीब ( नपुंसक ) । शतकुम्भ शब्द का अर्थ - अचलान्तर (पर्वत विशेष ) होता है । शतकोटि शब्द पुल्लिंग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं - १. कुलिश (वज्र ) २ वृन्द संख्या ( अरब संख्या) इस प्रकार शतकोटि शब्द के दो अर्थ जानना । मूल : शतघ्नी स्त्री कण्ठरोगे शस्त्रभेदे करञ्जके । वृश्चिकाल्या मथो काष्ठकुट्ट े पदुमे शतच्छदः ।। १८५६ ।। अथ ब्रह्मणि सूत्राणि स्वर्गे शतधृतिः पुमान् । शतपत्रं पद्मे स्यात् शतपत्रः शिखावले || १८६०॥ हिन्दी टीका - शतघ्नी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं- १. कण्ठरोग ( गले का रोग विशेष) २. शस्त्रभेद ( शस्त्र विशेष तोप ) और ३. करञ्जक ( करञ्ज, करौना वगैरह ) तथा ४. वृश्चिकाली (बिच्छू की पंक्ति) । शतच्छद शब्द के दो अर्थ माने गये हैं - १. काष्ठकुट्ट (कठखोदी नाम का पक्षी विशेष) और २. पद्म (कमल) । शतधृति शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं१. ब्रह्म (प्रजापति) २. सूत्रामा (इन्द्र) और ३. स्वर्ग । नपुंसक शतपत्र शब्द का अर्थ -- १. पद्म (कमल) होता है और पुल्लिंग शतपत्र शब्द का अर्थ २. शिखावल (मोर-मयूर ) होता है । मूल : पुष्करा राजकीरे दावीघाट विहंगमे । कर्णकीटी - शतावर्योः प्रोक्ता शतपदी स्त्रियाम् ।। १८६१ ।। शतपर्वा पुमान् इक्षु विशेष - त्वचिसारयोः । स्त्रियां त्वसौ वचा दूर्वा-शारदी- कटुकासु च ॥१८६२॥ हिन्दी टीका - शतपत्र शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं - १. पुष्कराहु ( सारस पक्षी विशेष ) २. राजकीर (राजकीय पोपट - शूगा विशेष ) ३. दावीघाट विहंगम (कठखोदी) । शतपदी शब्द के दो अर्थ माने गये हैं - १. कर्णकीटी (कनगोजर कनखजूरा) और २. शतावरी (शतावर ) । शतपर्वा शब्द नकारान्त पुल्लिंग है और उसके दो अर्थं होते हैं - १. इक्षु विशेष (गन्ना, शेर्डी, कोसिआर विशेष ) और २. त्वचिसार (बाँस) । स्त्रीलिंग शतपर्वी शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं - १. वचा (अमृता) २. दूर्वा (भी) ३. शारदी ( जल पीपरि ) और ४. कटुका (कुटकी) । मूल : Jain Education International यवे वचायां दूर्वायां स्यात् स्त्रियां शतपविका । काकोल्यां कर्णकीट्यां च स्यात् स्त्रियां शतपादिका ॥। १८६३ ॥ शतपुष्पा सितच्छत्रा - सूक्ष्मपत्रिकायोः स्त्रियाम् । कुलिशे दक्षकन्यायां विद्युति स्त्री शतह्रदा ।। १८६४।। हिन्दी टीका - शत पत्रिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. यव (जौ) २. वचा (अमृता) ३. दूर्वा (दुभी) । शतपादिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं१. काकोली (डोम काक वगैरह ) २. कर्णकीटी (कनगोजर) । शतपुष्पा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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