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३३२ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-शात्रव शब्द जाता है परन्तु ३. दुर्बल (कमजोर) ४. निशित (तीखा) और ५. शर्मशाली (सुखी) इन तीनों अर्थों में शात शब्द त्रिलिंग माना गया है ।
शात्रवं शत्रुसंघाते शत्रुभावे पुमान् रिपौ। शातनं नाशने कार्ये शाद: कर्दम-शष्पयोः ॥१६१४॥ रसान्तरेऽभियुक्त ना शान्तस्त्रिषु शमान्विते ।
शान्तिः स्त्री प्रशमे भद्रे दुर्गायां गोपिकान्तरे ॥१६१५॥ हिन्दी टीका-नपुंसक शात्रव शब्द के दो अर्थ माने गये हैं- शत्रुसंघात (शत्रुमण्डल) और २. शत्रुभाव (शत्रुता) किन्तु ३. रिपु अर्थ में शात्रव शब्द पुल्लिग हो माना जाता है। शातन शब्द नपुंसक है और उसके भी दो अर्थ होते हैं---१. नाशन (नाश करना) और २. कार्य (कृशता, क्षीणता)। शाद शब्द पुल्लिग है और उसके भी दो अर्थ होते हैं—१. कर्दम (कीचड़) और २. शष्प (हरा नया घास) । पुल्लिग शान्त शब्द के दो अर्थ रेते हैं- . रसान्तर (रस विशेष-शान्त रस) और २. अभियुक्त (श्रेष्ठ) किन्तु ३. शमान्वित (शम-शाल्ति युक्त) अर्थ में शान्त शब्द त्रिलिंग माना जाता है । शान्ति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं--१. प्रशम (वैराग्य) २. भद्र (कुशल) और ३. दुर्गा (पारवती) और ४. गोपिकान्तर (गोपिका विशेष)। मूल : शापो ना दिव्य आक्रोशे शामनं मारणे शमे ।
___ घनसारे शम्भुपुत्रे गुग्गुलौ शम्भुपूजके ॥१६१६॥ हिन्दी टीका-शाप शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं -१. दिव्य (भव्य) और २. आक्रोश (निन्दा)। शामन शब्द के छह अर्थ माने गये हैं-१. मारण (मारना) २. शम (शान्ति) ३. घनसार (कपूर) ४. शम्भुपुत्र (शम्भु का पुत्र) और ५. गुग्गुलु (गूगल) तथा ६. शम्भुपूजक (शम्भु का पूजक) इस प्रकार शामन शब्द के छह अर्थ समझने चाहिये।
विषभेदे शाम्भवो ना, शम्भु सम्बन्धिनि त्रिषु । शाम्भवी नीलदूर्वायां दुर्गायामपि कीर्तिता ।।१६१७॥ शिवमल्ल्यां शम्भु भक्त शाम्भवं देवदारुणि ।
शारो ना ऽक्षोपकरणे हिंसने शबलेऽनिले ॥१९१८॥ हिन्दी टीका-पुल्लिग शाम्भव शब्द का अर्थ-१. विषभेद (विष विशेष) होता है किन्तु २.शिवसम्बन्धी अर्थ में शाम्भव शब्द त्रिलिंग माना जाता है और स्त्रीलिंग शाम्भवी शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. नीलदूर्वा (हरी दूभी) और २. दुर्गा (पार्वती)। किन्तु नपुंसक शाम्भव शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं-१. शिवमल्ली (गुल्मा, बकपुष्प) और २. शम्भुभक्त (भगवान शंकर का भक्त) तथा ३. देवदारु (सरल वृक्ष) को भी शाम्भव कहते हैं। शार शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं१. अक्षोपकरण (जूआ पाशा-चौपड़ का साधन-गुटका गोली वगैरह) २. हिंसन (मारना) ३. शबल (चितकबरा) और ४. अनिल (पवन) इस प्रकार शार शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं।
शारङ्गो ना मृगे भृङ्ग मयूरे चातके गजे । शारङ्गी स्त्री वाद्ययन्त्रे शारङ्ग स्त्रिषु चित्रिते ॥१६१६।।
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