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मूल :
नानार्थोदयसागर कोष: हिन्दी टीका सहित - व्यापी शब्द | ३१७
व्यापी व्यापक-गोविन्दाऽऽच्छादकेषु त्रिलिंगकः । व्यापृतः कर्मसचिवे त्रिषु व्यापारसंयुते ॥१८२१॥ व्याप्तं पूर्णे समाक्रान्ते स्थापितेऽपि त्रिलिंगभाक् ।
व्याप्तिः साध्यवदन्यस्मिन्न सम्बन्धे च लम्भने ।। १८२२ ।।
हिन्दी टीका - व्यापी शब्द नकारान्त त्रिलिंग माना जाता है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. व्यापक २. गोविन्द और ३. आच्छादक ( ढाँकने वाला) । पुल्लिंग व्यापृत शब्द का अर्थ१. कर्मसचिव (कर्म करने में व्यासक्त मन्त्री) होता है किन्तु २. व्यापार संयुत ( व्यापार युक्त) अर्थ में व्यापृत शब्द त्रिलिंग माना गया है । त्रिलिंग व्याप्त शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं - १. पूर्ण, २. समाक्रान्त (युक्त) और ३. स्थापित । व्याप्ति शब्द स्त्रोलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं- - १. साध्यवदन्यस्मिन्न सम्वन्ध (साध्यवद् - भिन्नावृत्ती - साध्यवद् से भिन्न में नहीं रहना) और २. लम्भन ( प्राप्ति) । मूल : व्यापने भूति भेदेऽपि स्त्रियां सद्भिरुदाहृता । व्यायतं तु दृढे दैर्ध्य व्यापृतेऽतिशये त्रिषु ॥ १८२३॥ व्यायामो दुर्गसंचार- मल्ल क्रीडा - श्रमेषु च ।
विषमे पौरुषे व्यामे श्रमेऽपि कथितः पुमान् ॥ १८२४ ||
हिन्दी टीका - १. व्यापन ( व्याप्त करना) और २. भूतिभेद (भूतिविशेष ऐश्वर्य) अर्थ में भी व्याप्ति शब्द को स्त्रीलिंग माना जाता है । त्रिलिंग व्यायत शब्द के चार अर्थ होते हैं - १. दृढ़ ( मजबूत ) २. दैर्घ्यं (लम्बाई) ३. व्यापृत (तन्मय तल्लीन) और ४. अतिशय ( अत्यन्त ) | पुल्लिंग व्यायाम शब्द के सात अर्थ माने जाते हैं -१ दुर्ग संचार (किले के अन्दर विचरना) २. मल्लक्रीड़ा ( मल्लों का परस्पर लपटान) और ३. आश्रम, ४. विषम और ५. पौरुष (पुरुषार्थ ) ६. व्याम ( डेढ़ गज दोनों हाथों को फैलाकर नापने से प्रमाण विशेष) और ७ श्रम (परिश्रम मेहनत ) ।
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व्यालो दुष्टगजे व्याघ्र श्वापदेऽहौ च चित्रके । नृपेsपि त्रिष्वसौतुच्छठे धूर्तेऽपि कीर्तितः ॥ १८२५।। व्यावृत्तिः स्त्री व्यवच्छेदेऽवृत्ति खण्डनयोरपि ।
व्यासो द्वैपायने मानविशेषे पाठक द्विजे ।। १८२६ ॥
हिन्दी टीका - व्याल शब्द पुल्लिंग है और उसके छह अर्थ होते हैं - १. दुष्टगज (दुष्ट हाथी) २. व्याघ्र (बाघ) और ३. श्वापद ( जानवर ) तथा ४. अहि (सर्प) और ५. चित्रक ( चीता) तथा ६. नृप (राजा) किन्तु ७ शठ (दुर्जन) तथा ८. धूर्त (शैतान) अर्थ में व्याल शब्द त्रिलिंग माना जाता है । व्यावृत्ति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. व्यवच्छेद (व्यावर्तन करना, हटाना) और २. अवृत्ति (वृत्तिहीन, वृत्तिरहित) और ३. खण्डन (खण्डन करना) । व्यास शब्द पुल्लिंग है ओर उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं - १. द्वैपायन (व्यास) और २. मान विशेष (परिमाण विशेष ) तथा ३. पाठक द्विज (पाठक ब्राह्मण) को भी व्यास कहते हैं ।
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गोलस्य मध्यरेखायां विस्तारेऽपि प्रयुज्यते । व्यासक्त स्त्रिषु संसक्त विशेषा संगवत्यपि ॥। १८२७॥
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