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३१४ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-वैल्व शब्द मूल: वैल्वं बिल्वफले क्लीवं विल्व सम्बन्धिनि त्रिषु।
वैवस्वतो यमे रुद्रे शनौ च सप्तमे मनौ ॥ १८०३ ॥ दक्षिणाशा-यमुनयोः स्मृता वैवस्वती स्त्रियाम् ।
पैशाख: पुंसि मन्थानदण्ड-माधवमासयोः ॥ १८०४ ॥ हिन्दी टीका-नपुंसक वैल्व शब्द का अर्थ-१. विल्वफल होता है और २. विल्व सम्बन्धी अर्थ में वैल्व शब्द त्रिलिंग माना जाता है । पुल्लिग वैवस्वत शब्द के चार अर्थ होते है-१. यम (धर्मराज) १. रुद्र (भगवान् महादेव) और ३. शनि (शनिग्रह) तथा ४. सप्तम मनु । (सातवाँ मनु) स्त्रीलिंग वैवस्वती शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. दक्षिणाशा (दक्षिण दिशा) और २. यमुना (कालिन्दी) । वशाख शब्द पुल्लिग है और उसके भी दो अर्थ माने गये हैं-१. मन्थानदण्ड (मन्थनदण्ड) और २ माधवमास (वैशाख महीना)।
कुबेरपुर्यां न्यग्रोधे स्मृतो वैश्रवणालयः । वैश्वानरो वीतिहोत्रे चित्रकाख्यौषधावपि ॥ १८०५ ॥ वैष्णवो विष्णु भक्त ना विष्णु सम्बन्धिनि त्रिषु ।
वैष्णवी स्याद् विष्णु शक्ति-दुर्गा-भागीरथीषु च ॥१८०६।। हिन्दी टीका-वैश्रवणालय शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१ कुबेरपुरी (अलका. पुरी) और २. न्यग्रोध (वटवृक्ष) । वैश्वानर शब्द भी पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं. वीतिहोत्र (अग्नि) और २. चित्रकाख्यौषधि (चित्रक नाम का प्रसिद्ध औषधि विशेष-एरण्ड-अण्डी-दीबेल वगैरह) । वैष्णव शब्द १. विष्णुभक्त अर्थ में पुल्लिग माना जाता है किन्तु २. विष्णु सम्बन्धी अर्थ में त्रिलिंग माना गया है और स्त्रीलिंग वैष्णवी शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. विष्णु शक्ति, २. दुर्गा और ३. भागीरथी (गंगा) इस प्रकार विष्णु शब्द के कुल मिलाकर पांच अर्थ समझना चाहिये।
अपराजिता-तुलस्योः शतावर्यामपि स्त्रियाम् । बीड़ी स्त्री पणतुर्यांशे बोड्रो गोनासमत्स्ययोः ।। १८०७॥ वोढा पुमान् बलीव सारथौ परिणेतरि ।
ऋषभेभारिके मूढ़े व्यक्तः प्राज्ञ स्फुटे त्रिषु ।। १८०८ ॥ हिन्दी टोका-वैष्णवी शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं-१. अपराजिता (पटुआ पटसन या अपराजिता) २. तुलसी और ३. शतावरी (शतावर) बीड़ी शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ १. पणतुर्यांश (पैसा का चौथा हिस्सा) है । वोडू शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. गोनास (छोटा जाति का सर्प विशेष) और २. मत्स्य । वोढा शब्द पुल्लिग है और उसके छह अर्थ होते हैं-१. बलीवर्द (बड़ा बैल साँढ़) २. सारथि, ३. परिणेता (विवाह करने वाला) ४. ऋषभ (बैल) ५. भारिक (भारवहन करने वाला) और ६. मूढ़ (मूर्ख) । पुल्लिग व्यक्त शब्द का अर्थ--१. प्राज्ञ होता है और २. स्फुट (स्पष्ट) अर्थ में व्यक्त शब्द त्रिलिंग माना जाता है। मूल : व्यक्तिः स्त्री पृथगात्मत्व स्पष्टतायां जनेऽपि च ।
न्यग्रो नारायणे पुंसि व्यासक्त ब्याकुले त्रिषु ॥ १८०६ ॥
मूल :
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